गुरुवार, मार्च 25, 2021

टीकाकरण : हिन्दुस्तान और कोरोना की वैक्सीन

 टीकाकरण : हिन्दुस्तान और  कोरोना की वैक्सीन 

दो   कोरोना  की वैक्सीनैं भारत में  बनायी  जा रही हैं | 

बिलकुल एक महीने के अंतराल में - जब अंतर्राष्ट्रीय  स्तर पर टीका करण प्रारम्भ हुआ तो भारत में  भी टीकाकरण  १६ जनवरी २०२१ से चालू हो गया | 
दो टीके,  जिनमें से एक भारत बायोटेक, हैदराबाद  द्वारा निर्मित स्वदेशी (कोवेक्सीन ) एवं ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एस्ट्रा जेनेका (यानी कोविशील्ड - जो  कि  आदर पूनावाला के सीरम संस्थान पुणे में निर्मित है ) का इस्तेमाल किया जा रहा है | 

ये कोरोना  के टीके सर्वप्रथम ६० साल से ऊपर के व्यक्तियों को दिए गए।  कुछ ऐसे लोगों को भी इसमें शामिल किया गया जो ४५ साल से अधिक उम्र के हैं, लेकिन उन्हें कोई बीमारी है | 

आज शाम (२५ मार्च २०२१) तक भारत में  ५ करोड़ लोगों को ये टीके लगा दिए गए हैं | 

१ अप्रैल २०२१ से ४५ साल और उनसे बड़े लोगों के टीकाकरण की तैयारी जोरों पर है |  यह भारत जैसे  देश के लिए  गर्व की बात है | 
कोवैक्सीन और कोवी शील्ड में  अंतर :
ये अंतर सिर्फ बनाने के तरीकों में  है -  
कोवैक्सीन :  भारत बायोटेक द्वारा निर्मित "कोवैक्सीन'  को बनाने में वैज्ञानिकों के मुताबिक  (LANCET  जर्नल का सन्दर्भ नीचे है ):
https://www.thelancet.com/journals/laninf/article/PIIS1473-3099(21)00070-0/fulltext


यह एक निष्क्रिय किया हुवा  कोविद १९ वायरस है |  यानि इसे बनाने के लिए सीधे सीधे -मारे हुए वाइरस का इस्तेमाल किया गया है- जो की मानव शरीर में उस जिन्दा वाइरस से होने वाली बीमारी के खिलाफ  लड़ने के लिए उचित रक्ष्यात्मक कवच तैयार करता है | इस कवच को एंटीबाडीज कहते हैं |  

कोवीशील्ड: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की एस्ट्रा जेनेका वैक्सीन को बनाने में चिम्पैंजी में साधारण से जुकाम लाने वाले वाइरस को निष्क्रिय करके उसमें कोविड १९ के स्पाइक प्रोटीन (वो कांटे जैसी दिखने वाले हिस्से ) लगाये गए हैं | 



प्रेम  २५ मार्च २०२१ 
३१ मार्च २०२१ 






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