शुक्रवार, मार्च 08, 2019

भविष्य की जानकारी (Knowing your future)

भविष्य की जानकारी (Knowing your future): Taylor's Series

पढ़ते-पढाते  एक ज्ञान प्राप्त हुआ है - सोचा साझा कर लिया जाय.
माना  f(t)  एक घटना है जो की वक्त के साथ बदलती है.  अब चूँकि यहाँ पढ़ने वाले बच्चे आएंगे - चलिए उनके छमाही अंकों से उनके सालाना अंकों का भविस्य जाना जाय. यहाँ पर f(0 ) को  बच्चे के छमाही के अंक मान लेते हैं.  यानी हमारा समय शुरू होता है अब (t=0).

परिवर्तन  की  दर (RATE OF CHANGE)
बदलाव, या परिवर्तन  की  दर (RATE OF CHANGE) को गणित  में  समय से भागा कर  दिखाया जाता है। 

df(t)/dt  यानि  f(t)  का डिफ़्रेंसिअल  को  f '(t) से दर्शाया  जाता है.

d2f(t)/dt2     यानि  f(t)  का फिर से  डिफ़्रेंसिअल  को  f "(t) से दर्शाया  जाता है.

"परिवर्तन में "  परिवर्तन  की  दर
अब हम मान के चलते हैं कि छात्र अपनी पढ़ाई में सुधार करता है.  सुधार की दर f '(0 ) है. इसी तरह से "सुधार में " सुधार की दर f "(0 ) है. 

तो हम आने वाले इम्तहान में  छात्र के अंकों का अनुमान निम्न सीरीज द्वारा लगा सकते हैं :

 f(t)=f (0 )+f '(0 ) t +0.5 f "(0 ) t +  इसी तरह से  आगे। ..

इसे टेलर  सीरीज  कहते हैं.
Taylor's theorem (without the remainder term) was devised by Taylor in 1712 and published in 1715, although Gregory had actually obtained this result nearly 40 years earlier. In fact, Gregory wrote to John Collins, secretary of the Royal Society, on February 15, 1671, to tell him of the result. The actual notes in which Gregory seems to have discovered the theorem exist on the back of a letter Gregory had received on 30 January, 1671, from an Edinburgh bookseller, which is preserved in the library of the University of St. Andrews (P. Clive, pers. comm., Sep. 8, 2005).

प्रेम , ८ मार्च २०१९