Korona time: why we should write our experiences
कोरोना के इस काल में हमने क्यों अपने अनुभव लिखने चाहिए.
१०० साल का समय, मानवता के लिए वैसे तो बहुत नहीं होता, लेकिन फिर भी यह निम्न लिखित तरीके से देखा जाय तो बहुत होता है | उदाहरणार्थ इसमें एक मनुष्य अपने दसियों जनमबार, कुछेक शादी-वादी की (अपनी या दूसरों की ) स्वर्ण जयंतियां या कम से कम रजत जयंतियां तो मना ही लेता है |
कुछ सामान्य सी बातें है- हर दस साल में बदलाव देखने को मिलते हैं, जैसे हर पांच साल में सरकारें बदलती हैं, हर दस साल में सरकार अपने कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग गठित करती है | हर पांच साल में कई डिग्रियां मिलती हैं | हर पंद्रह साल में हर एक बच्चा बड़ा हो जाता है ' अगले बीस सालों के अंदर बच्चों का परिवार बन जाता है आदि आदि |
करीब सौ साल पहले राईट भाइयों ने हवाई जहाज में पहली बार उड़ान भरी - आज के दिन में अनेक क्षेत्रों में बगैर हवाई यात्रा के काम काज चल ही नहीं सकता है |
पिछले सौ सालों में भारत में बहुत सारे शिक्षण संस्थान खुले , उनमें से कई इस समय अपने पचास या उससे भी ज्यादा साल के हो चुके हैं | इन संस्थानों में पढ़े -लिखे लोगों ने दुनियां में कई क्षेत्रों में योगदान दिया है |
मैं नैनीताल के DSB कैंपस का पढ़ा हूँ. आज यदि मैं उस कैंपस की रजत जयंती स्मारिका के बारे में कालेज की पत्रिका के अलावा किसी और से कुछ जानना चाहूँ, तो ये संभव नहीं. किसी ने कोई फोटो खींचा भी होगा तो उसका कोई डिटेल नहीं होगा या वो फोटो कूड़े में जा चुकी होगी क्योंकि फोटो खींचने वाला मर खप गया होगा| पता नहीं सन १९७५-१९८० के अखबार कहीं मिलेंगे? होंगे तो क्या सुरक्षित होंगे? उस समय डिजिटल स्टोरेज भी नहीं था |
अब माना कोई विधार्थी आज उस रजत जयंती के बारे में एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट बना रहा होगा तो उसकी रिपोर्ट में, उक्त स्मारिका से हटकर कुछ नया होगा , इसकी कल्पना करना भी उचित नहीं है|
इसीलिए अब कुछ डाटा :
आज यानी २६ अप्रैल को जब दुनियां में करीब २ लाख लोग कोरोना से अपनी जान गवां चुके हैं, कुल ३ करोड़ के लगभग इस बीमारी से ग्रसित हैं.
भारत में आज पूर्णबंदी का ३३वां दिन है | कुल २६४९६ संक्रमित लोगों में भारत के ७३४ जिलों में से २७ जिले ऐसे हैं, जो ६८% का योगदान कर रहे हैं |
२०% संक्रमण मुंबई , पूना एवं ठाणे से हैं | ७००० लोग महाराष्ट्र में, जिसमें ५००० लोग सिर्फ मुंबई में हैं |
६४ पुलिस वाले महारास्ट्र एवं ३२ दिल्ली में कोरोना संक्रमित हैं |
तमिलनाडू में करीब १८०० कोरोना के मरीज पाए गये हैं | चेन्नई में करीब ५०० लोग संक्रमित हैं |
चेन्नई में आज से २९ अप्रैल तक तीव्र पूर्ण बंदी लागू की गयी है | इस चक्कर में कल सब्जी तथा किराने की दुकांनों में काफी लम्बी लाइनें लग गई.
दिल्ली के एक अस्पताल (वाडा ) को बंद कर दिया गया है क्योंकि उसकी एक नर्स को संक्रमित पाया गया है |
प्लाजमा थेरपी जो की एक पुरानी तकनीक है, का इस्तेमाल दिल्ली के अस्पतालों में आरम्भ कर दिया गया है , ये माना जा रहा है कि इससे कोरों बीमारी से लड़ने में मदद मिलेगी |
[ये सारी सामग्री आज के अखबारों एवं न्यूज़ चैनलों से जुटा ई गयी है ]
भारत में कोरोना से सम्बंधित सरकार द्वारा जारी जानकारी के लिए यहाँ देखें
https://www.mygov.in/covid-19
click here for the updates on corona disease by Indian government.
https://www.mygov.in/covid-19
इससे सम्बंधित वैज्ञानिक जानकारियां यहाँ पर देखें :
https://www.cdc.gov/coronavirus/2019-ncov/about/index.html
प्रेम अप्रैल २६, २०२०
कोरोना के इस काल में हमने क्यों अपने अनुभव लिखने चाहिए.
१०० साल का समय, मानवता के लिए वैसे तो बहुत नहीं होता, लेकिन फिर भी यह निम्न लिखित तरीके से देखा जाय तो बहुत होता है | उदाहरणार्थ इसमें एक मनुष्य अपने दसियों जनमबार, कुछेक शादी-वादी की (अपनी या दूसरों की ) स्वर्ण जयंतियां या कम से कम रजत जयंतियां तो मना ही लेता है |
कुछ सामान्य सी बातें है- हर दस साल में बदलाव देखने को मिलते हैं, जैसे हर पांच साल में सरकारें बदलती हैं, हर दस साल में सरकार अपने कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग गठित करती है | हर पांच साल में कई डिग्रियां मिलती हैं | हर पंद्रह साल में हर एक बच्चा बड़ा हो जाता है ' अगले बीस सालों के अंदर बच्चों का परिवार बन जाता है आदि आदि |
करीब सौ साल पहले राईट भाइयों ने हवाई जहाज में पहली बार उड़ान भरी - आज के दिन में अनेक क्षेत्रों में बगैर हवाई यात्रा के काम काज चल ही नहीं सकता है |
पिछले सौ सालों में भारत में बहुत सारे शिक्षण संस्थान खुले , उनमें से कई इस समय अपने पचास या उससे भी ज्यादा साल के हो चुके हैं | इन संस्थानों में पढ़े -लिखे लोगों ने दुनियां में कई क्षेत्रों में योगदान दिया है |
मैं नैनीताल के DSB कैंपस का पढ़ा हूँ. आज यदि मैं उस कैंपस की रजत जयंती स्मारिका के बारे में कालेज की पत्रिका के अलावा किसी और से कुछ जानना चाहूँ, तो ये संभव नहीं. किसी ने कोई फोटो खींचा भी होगा तो उसका कोई डिटेल नहीं होगा या वो फोटो कूड़े में जा चुकी होगी क्योंकि फोटो खींचने वाला मर खप गया होगा| पता नहीं सन १९७५-१९८० के अखबार कहीं मिलेंगे? होंगे तो क्या सुरक्षित होंगे? उस समय डिजिटल स्टोरेज भी नहीं था |
अब माना कोई विधार्थी आज उस रजत जयंती के बारे में एक प्रोजेक्ट रिपोर्ट बना रहा होगा तो उसकी रिपोर्ट में, उक्त स्मारिका से हटकर कुछ नया होगा , इसकी कल्पना करना भी उचित नहीं है|
इसीलिए अब कुछ डाटा :
आज यानी २६ अप्रैल को जब दुनियां में करीब २ लाख लोग कोरोना से अपनी जान गवां चुके हैं, कुल ३ करोड़ के लगभग इस बीमारी से ग्रसित हैं.
भारत में आज पूर्णबंदी का ३३वां दिन है | कुल २६४९६ संक्रमित लोगों में भारत के ७३४ जिलों में से २७ जिले ऐसे हैं, जो ६८% का योगदान कर रहे हैं |
२०% संक्रमण मुंबई , पूना एवं ठाणे से हैं | ७००० लोग महाराष्ट्र में, जिसमें ५००० लोग सिर्फ मुंबई में हैं |
६४ पुलिस वाले महारास्ट्र एवं ३२ दिल्ली में कोरोना संक्रमित हैं |
तमिलनाडू में करीब १८०० कोरोना के मरीज पाए गये हैं | चेन्नई में करीब ५०० लोग संक्रमित हैं |
चेन्नई में आज से २९ अप्रैल तक तीव्र पूर्ण बंदी लागू की गयी है | इस चक्कर में कल सब्जी तथा किराने की दुकांनों में काफी लम्बी लाइनें लग गई.
दिल्ली के एक अस्पताल (वाडा ) को बंद कर दिया गया है क्योंकि उसकी एक नर्स को संक्रमित पाया गया है |
प्लाजमा थेरपी जो की एक पुरानी तकनीक है, का इस्तेमाल दिल्ली के अस्पतालों में आरम्भ कर दिया गया है , ये माना जा रहा है कि इससे कोरों बीमारी से लड़ने में मदद मिलेगी |
[ये सारी सामग्री आज के अखबारों एवं न्यूज़ चैनलों से जुटा ई गयी है ]
भारत में कोरोना से सम्बंधित सरकार द्वारा जारी जानकारी के लिए यहाँ देखें
https://www.mygov.in/covid-19
click here for the updates on corona disease by Indian government.
https://www.mygov.in/covid-19
इससे सम्बंधित वैज्ञानिक जानकारियां यहाँ पर देखें :
https://www.cdc.gov/coronavirus/2019-ncov/about/index.html
प्रेम अप्रैल २६, २०२०
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