बुधवार, जनवरी 02, 2019

नए साल की मुबारकबाद: एक पव्वा झिलमिल

नए साल की मुबारकबाद

व्हाट्सप्प यूनिवर्सिटी से एक वीडियो प्राप्त हुआ. जबसे उसे देखा है - इतना सजीव वर्णन मैंने किसी कविता में आज  तक नहीं सुना.  चाहे वह  "मुझे तोड़ लेना वनमाली! उस पथ पर देना तुम फेंक "  माखन लाल चतुर्वेदी की ये कविता ही क्यों  न हो.   आप भी  रसास्वादन करें. 

इस कविता या छंद के लेखक उच्चारक का नाम तो मुझे नहीं पता लेकिन गेहूं के पौधों की लम्बाई, धूप, और "गिंज" का उच्चारण ये इंगित करती है कि ये कवि  हमारे अल्मोड़ा जिले के होंगे.  यदि आप को इनका पता मिले (जैसे कि उस व्हॉटस्वैप मैसेज से आपको मिल सकता है- जो कि दिसंबर २०१८ के अंतिम सप्ताह में कुमाऊँ के कई जिलों में एक साथ प्रसारित हुआ यानि  'मैसेज वायरल हुआ "

"एक पव्वा झिलमिल  दो पव्वा टैट , तीन पव्वा ललबल  चार पव्वा फ्लैट |
पांच पव्वा गिंज आकाश, छै पव्वा एक सौ आठ - सात पव्वा घाट "

इस कविता की विधा भी एकदम अलग है- इसमें कवि  ने  "गागर में सागर भरने " वाला मुहावरा चरितार्थ किया है.

कविता के इस अंश को मैं उन कवि  से साभार लेते हुवे यहाँ जन साधारण के लिए टाइप कर रहा हूँ.  वीडियो मैसेज देना कवि  की निजता का हनन होगा.

यदि उसका अर्थ समझने में  मुश्किल हो तो- एक आध पेज लिखा जा सकता है- जब समय हो.

KEYWORDS : पिया शराब ,  नाली,  पाउच , कच्ची, अंग्रेजी, पव्वा , अध्धा,


प्रेम,  २ जनवरी २०१९. 

3 टिप्‍पणियां:

Prem ने कहा…

झिलमिल की जगह पर रिमझिम है

Prem ने कहा…

झिलमिल की जगह पर रिमझिम है

Prem ने कहा…

Ek Pawar jhilmil , do pawwa