अब पछताए क्या होत है जब चिड़िया चुग गई खेत.
एक अंतर्देसी और डॉट पेन |
प्रोक्रस्टीनेसन (procrastination) यानि टालमटोल या स्थगन (प्रस्ताव)!
प्रोक्रस्टीनशन के बारे में जानना इसलिए भी जरूरी है , क्योंकि हम सब इसके शिकार हैं. सवाल ये है कि, कौन कितना ? या फिर ये, कि इससे होने वाले नुक्सान को कैसे कम-से-कम किया जाय.
अंतिम तारीख - एक सबसे बढ़िया उदाहरण
नीचे दिए लिंक में एक बड़ी पत्रिका में एक सूत्र भी दे या गया है : साधारण सी बात है - जैसे हमें अपने एक पाइप की मरम्म्त करवानी है- जो कि थोड़ा लीक कर रहा है. अब हम अगले दस दिन का समय तय करते हैं कि इतने दिनों में ये करा लेंगे. । हमने अनुमान इन दस दिनों का लगाया क्योंकि हमें मालूम है कि (१). किसी प्लंबर से बात करनी है (२), उसे पाइप दिखाने लाना होगा (३). उसके बताये अनुसार कुछ सामान लाना होगा. आदि आदि।
http://scitation.aip.org/content/aip/magazine/physicstoday/article/69/2/10.1063/PT.3.3064
क्षणिक सन्तुष्टि बंदर " या "instant gratification monkey"
"क्षणिक सन्तुष्टि बंदर " या "instant gratification monkey", ये चुलबुली चीज हर समय आपसे थोड़ी सी मस्ती की गुजारिश करती है. |
तात्कालिक सन्तुष्टि प्राप्त हो रही होगी. (इसे कहीं कहीं पर "क्षणिक सन्तुष्टि बंदर " या "instant gratification monkey" के नाम से जाना जाता है. [Tim Urban].
हड़बड़ी -राक्षस (Panic
Monster)
हड़बड़ी -राक्षस (Panic Monster). ये महाशय सिर्फ अंतिम समय में सक्रिय होते हैं.- "बिलकुल समय नहीं बचा -कुछ नहीं किया " |
आठवें या नौवें दिन आप देखेंगे कि या तो पाइप ज्यादा लीक होने लगा , या फिर इतवार आ गया या ऐसे ही कुछ और. अब आप को ऐसा लगेगा कि ये काम तो एकदम करना है। . यानि अभी तक पछले ७ दिनों सी आप इस काम के लिए टाल - मटोल कर रहे थे. अब ये जो नौवें या दसवें दिन जो आपको ज्ञान मिला है -उससे आप एड़ी -चोटी का जोर लगाकर पाइप ठीक करवा लेंगे. या तो कुछ पैसे ज्यादा खर्च होंगे या फिर पाइप की रिपेयर उतनी बढ़िया नहीं हुई। . ये जो नौवें या दसवें दिन की आपकी गतिविधि थी उसे टिम अर्बन "हड़बड़ी राक्षस" का नाम देते हैं . जो भी हुआ - काम हो गया - चाहे जैसा भी हअा.
अंतिम तिथि के अभाव का प्रभाव (Effect of NO LAST DATE)
जब तक आपके पास किसी काम के लिए अंतिम तिथि है , उसमें वो लोग जो टाल-मटोल नहीं करते , वो तो काम को ठीक से करेंगे ही. अपने "टेड टॉक" में "टिम अर्बन" एक गजब की बात कहते हैं. ..... टाल मटोल करने वाले लोग भी जैसे -तैसे , जरा अपने स्तर से निचले स्तर का काम कर ही डालेंगे -इसका एक ही कारण है - "हड़बड़ी -राक्षस" का ठीक समय पर (यानि अंतिम तिथि से पहले ) प्रभावी हो जाना.
विवेकपूर्ण व्यक्ति (बांये), क्षणिक सन्तुष्टि बंदर " (बीच में ) हर समय अपना प्रभाव जमाने की कोशिश में और हड़बड़ी -राक्षस (दाएं ) अंतिम तिथि में सक्रिय । |
सबसे ज्यादा प्रभावित लोग
टालमटोल एक ऐसा राक्षस है, जो हर एक के पीछे है. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, (१). रिसर्च स्कॉलर, प्रोजेक्ट छात्र , (२) स्कूल के बच्चे , (३) स्व-रोजगार वाले लोग या (४). नयी नौकरी वाले लोग- जिन्हें बहुत से काम एक साथ करने पड़ते हैं।
शोध प्रपत्र लिखना, या छोटी-मोटी रिपोर्ट बनाना , या किसी एजेंसी को नई योजना का डॉक्यूमेंट तैयार करना- ये सब ऐसे काम हैं , जो एक दिन में नहीं होते. इनमें से कइयों की कोई अंतिम तिथि नहीं होती , यानि इन्हें अगले कई सालों (जैसे शोध छात्र के पास प्राय: ५ साल का समय होता है).
इसी तरह से कोई स्व रोजगार करता है, तो उसके पास भी कोई समय सीमा नहीं।
बस समझ लीजिये -यहाँ पर टालमटोल विधा का कौन सा अंग नहीं है? - "हड़बड़ी -राक्षस"! इसलिए ये लोग सबसे ज्यादा प्रभवित होते हैं.
जरुरत है कि टालमटोल (procrastination) से जितना संभव हो दूर ही रहा जाय. इसके लिए अपने "टेड टॉक" में "टिम अर्बन" प्रत्येक से ये कहते हैं कि आप ९० साल को ९० छोटे छोटे बिंदुओं में बाँट के देखिये। और ये भी देखिये कि कितने बिंदु इस्तेमाल हो चुके हैं, और कितने बचे हैं?
जरुरत है कि टालमटोल (procrastination) से जितना संभव हो दूर ही रहा जाय. इसके लिए अपने "टेड टॉक" में "टिम अर्बन" प्रत्येक से ये कहते हैं कि आप ९० साल को ९० छोटे छोटे बिंदुओं में बाँट के देखिये। और ये भी देखिये कि कितने बिंदु इस्तेमाल हो चुके हैं, और कितने बचे हैं?
प्रेम , २४ अप्रैल, २०१६
(गोहाटी में लेख पूरा करते हुए)
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