रविवार, अप्रैल 24, 2016

अब पछताए क्या होत है जब चिड़िया चुग गई खेत. Procrastination- a notorious tendency of modern times

अब पछताए क्या होत है जब चिड़िया चुग गई खेत. 

एक अंतर्देसी और डॉट पेन
ये मुहावरा मेरे भैया ने एक अंतर्देसी पत्र  में  लिख कर भेज  था, जब में चम्पावत के खेत खलिहानों से ज्यादा वाकिफ था.  मुहावरा झट से समझ में  आ गया क्योंकि खेत में फसल भी होती थी, और चिड़िया - तो एक से एक.   आज के जमाने में  जब बच्चे या बड़े लोग  'bird watching' को बड़ा मह्त्व देते हैं , तो क्या कहूं -कुछ कहना ही नहीं आता.  खैर. भइया का मतलब कुछ ये था कि समय नष्ट नहीं करना चाहिए.. पढ़ना चाहिए.  मेरी समझ से ये भी बाहर था कि में समय कब बर्बाद करता हूँ , (जैसे आजकल मराठवाड़ा के सूखे में बच्चे घर के लिए पानी का जुगाड़ कर  रहे हैं - तो ये कहाँ का समय बर्बाद हुआ ?).                                   

प्रोक्रस्टीनेसन  (procrastination) यानि टालमटोल या स्थगन (प्रस्ताव)!

प्रोक्रस्टीनशन  के बारे में जानना इसलिए भी जरूरी है , क्योंकि हम सब इसके शिकार हैं.  सवाल ये  है कि,  कौन कितना ?  या फिर ये, कि  इससे होने वाले नुक्सान को कैसे कम-से-कम किया जाय.


अंतिम तारीख - एक सबसे बढ़िया उदाहरण 
नीचे दिए  लिंक में  एक बड़ी पत्रिका में एक सूत्र भी दे या गया है :  साधारण सी बात है - जैसे हमें अपने एक पाइप की मरम्म्त करवानी है- जो कि थोड़ा लीक कर रहा है. अब हम अगले दस दिन  का समय तय करते हैं कि इतने दिनों में ये करा लेंगे. ।    हमने अनुमान इन दस दिनों का लगाया  क्योंकि हमें मालूम है कि (१). किसी प्लंबर से बात करनी है (२), उसे पाइप दिखाने लाना होगा  (३). उसके बताये अनुसार कुछ सामान लाना होगा. आदि आदि।

http://scitation.aip.org/content/aip/magazine/physicstoday/article/69/2/10.1063/PT.3.3064

क्षणिक सन्तुष्टि बंदर " या "instant gratification monkey"

"क्षणिक सन्तुष्टि बंदर " या
"instant gratification monkey", ये चुलबुली चीज
हर समय आपसे थोड़ी सी मस्ती
 की गुजारिश करती है. 
सामान्यतया ये मान के चलते हैं कि हम सब विवेकपूर्ण लोग हैं.  यानि सभी कामों को तर्कसंगत ढंग से करते हैं. लेकिन , यदि कोई (हम या आप) टाल -मटोल कर ने वाले  व्यक्ति हैं, तो प्रायः हम देखेंगे कि हमारे  पहले ६-७ दिन ऐसे ही निकल जाएंगे. क्योंकि  जब भी कभी समय मिलेगा, हम उसे किसी ऐसी ही चीज में  लगा देंगे, जिससे
तात्कालिक सन्तुष्टि प्राप्त हो रही होगी. (इसे कहीं कहीं पर "क्षणिक सन्तुष्टि बंदर " या "instant gratification monkey" के नाम से जाना जाता है. [Tim Urban].


हड़बड़ी -राक्षस   (Panic Monster)
हड़बड़ी -राक्षस  
(Panic Monster). ये महाशय
सिर्फ अंतिम समय में सक्रिय होते हैं.-
"बिलकुल समय नहीं बचा -कुछ
नहीं किया "

 आठवें या नौवें दिन आप देखेंगे कि या तो पाइप ज्यादा लीक होने लगा , या फिर इतवार आ गया या ऐसे ही कुछ और. अब आप को ऐसा लगेगा कि ये काम तो एकदम करना है। .  यानि अभी तक पछले ७ दिनों सी आप इस काम के लिए टाल - मटोल कर रहे  थे.  अब ये जो नौवें या दसवें दिन जो आपको ज्ञान मिला है -उससे आप एड़ी -चोटी का जोर लगाकर पाइप ठीक करवा लेंगे.  या तो कुछ पैसे ज्यादा खर्च होंगे या फिर पाइप की रिपेयर उतनी बढ़िया नहीं हुई। .  ये जो नौवें या दसवें दिन की आपकी गतिविधि थी उसे टिम अर्बन "हड़बड़ी राक्षस"  का नाम देते हैं . जो भी हुआ - काम हो गया - चाहे जैसा भी हअा.

अंतिम तिथि के  अभाव  का प्रभाव (Effect of NO LAST DATE) 

   जब तक आपके पास किसी काम के लिए अंतिम तिथि है , उसमें वो लोग जो  टा-मटोल नहीं करते , वो  तो काम को  ठीक से करेंगे ही.  अपने "टेड टॉक" में "टिम अर्बन" एक गजब की बात कहते हैं. ..... टाल मटोल करने वाले लोग भी जैसे -तैसे , जरा अपने स्तर से निचले स्तर का काम कर ही  डालेंगे -इसका एक ही कारण है - "हड़बड़ी -राक्षस"  का ठीक समय पर  (यानि अंतिम तिथि से पहले ) प्रभावी हो जाना.   
विवेकपूर्ण व्यक्ति (बांये), क्षणिक सन्तुष्टि बंदर " (बीच में )
हर समय अपना प्रभाव जमाने की कोशिश में

और हड़बड़ी -राक्षस (दाएं ) अंतिम तिथि में सक्रिय
मुश्किल तब होती है- जब किसी काम को पूरा करने की कोई समय - सीमा नहीं होती.  उस समय आपके उपर  ये "हड़बड़ी -राक्षस"  काम नहीं करता है. इसलिए आप "टालमटोल के उच्च्तम स्तर" को प्राप्त कर  लेते हैं.  इसे ही प्रोक्रस्टीनेसन (procrastination) कहा जाता है. 

सबसे ज्यादा प्रभावित लोग

टालमटोल एक ऐसा राक्षस है, जो हर एक के पीछे है. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, (१). रिसर्च स्कॉलर, प्रोजेक्ट छात्र , (२) स्कूल के बच्चे , (३) स्व-रोजगार वाले लोग या (४). नयी नौकरी वाले लोग- जिन्हें बहुत  से काम एक साथ करने पड़ते हैं।  
शोध प्रपत्र लिखना, या छोटी-मोटी रिपोर्ट बनाना , या किसी एजेंसी को नई योजना का डॉक्यूमेंट तैयार करना-  ये सब ऐसे काम हैं , जो एक दिन में नहीं होते. इनमें से कइयों की कोई अंतिम तिथि नहीं होती , यानि इन्हें अगले कई सालों (जैसे शोध  छात्र के पास प्राय: ५ साल का समय होता है).

इसी तरह से कोई स्व रोजगार करता है, तो उसके पास भी कोई समय सीमा नहीं।


बस  समझ लीजिये -यहाँ पर टालमटोल विधा का कौन सा अंग नहीं है?  - "हड़बड़ी -राक्षस"!   इसलिए ये लोग सबसे ज्यादा प्रभवित होते हैं.  

जरुरत है कि टालमटोल (procrastination)  से जितना संभव हो दूर ही रहा जाय.   इसके लिए अपने "टेड टॉक" में "टिम अर्बन"  प्रत्येक से ये कहते हैं कि   आप ९० साल को ९० छोटे छोटे बिंदुओं में बाँट के देखिये।  और ये भी देखिये कि कितने बिंदु इस्तेमाल हो चुके हैं, और कितने बचे हैं? 

प्रेम , २४ अप्रैल, २०१६ 
(गोहाटी में लेख पूरा करते हुए)




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