ब्रुक हिल हॉस्टल:
१. इसको लोग बुर्खिल होसटिल भी कहते थे.
२. शाम को फील्ड में क्रिकेट खेलते थे.
३. मैस में खाने की सुबह जल्दी और शाम को बड़ा इन्तेजार रहता था. वैसे मैस कम ही चलती थी, कमरे में बनी चाय और खाने का मजा ही और था.
४. पूरे ११ साल तक हमारे चीएफ़ वार्डेन साहिब डा. जगदा ही थे. भले आदमी थे.
५. दो चाय की दुकाने थीं. बहुगुणा की और ठाकुर की. कभी एक के पास ज्यादा उधार हो जाए, तो फट से दूसरे को पहले दिन नकद दे देते थे. कमरे में चाय पहुचाने ठाकुर साब का बफादार छोटा लड़का था. उसकी बड़ी याद आती है.
६. सड़क के पार एक चर्च था. हम वहां एक्साम टाइम में पढने जाते थे.
The nostalgic photographs from Brook Hill Hostel Nainital: