शुक्रवार, जून 24, 2011

About savidya : Experiences of Ritesh:

A B. Tech student Ritesh Tiwari worked for SAVIDYA in the science center at Champawat for about 6 months as a volunteer.  He has written his  experiences in the following link (his own blog: CHAUPAL).
http://riteshcmp.blogspot.com/2011/03/blog-post_26.html

Prem
(On way to Jabalpur at Mumbai)

बुधवार, जून 22, 2011

Lectures at Champawat (World environment day)

 हिमालय के गाँव के नलों में पानी के बजाय हवा आती है. 
यहाँ की हवा बदलती है तो अमेरिका को भी चिंता हो जाती है.
इस तरह की बातें पाठक जी बताते थे. 
SAVIDYA (HIMWATS) की कार्य रेखा के अंतर्गत मुझे एक सेमिनार के  आयोजन का गौरव प्राप्त हुआ:
CELEBRATING WORLD ENVIRONMENT  WEEK:
Lectures by ARIES, NAINITAL Scientists Dr. Wahab Uddin & Dr. Umesh Dumka at Champawat GIC. 1 June.2011- 
1. Dr. Wahab Uddin speaks on “Solar activity and Space Weather”
and 
2.Dr. Umesh Chandra Dumka speaks on
“Earth atmosphere and atmospheric aerosols and their climate impact”
3. I spoke on lasers and possibility of Alumni Association of GIC Champawat. SHG of Nd:YAG laser and a diode laser were demonstrated.
     In the picture: Dr. Wahab giving his lecture. 


[Before starting the seminar, the secretary of Savidya, my elder brother (a retired faculty of IITK) Prof. Bist enlightened the audience on the activities of schools, science day, world environment week and various aspects of Savidya (under ASHA for education.] 
Actually the world environment day was also celebrated in various schools on Saturday 4th June (as 5th June was a Sunday) by lectures of several teachers at various schools supported by SAVIDYA.




इसी ब्लॉग पर पुराणी पोस्ट देखें:


http://champawatsechennaitak.blogspot.com/2009/06/blog-post.html

मंगलवार, जून 21, 2011

Brook Hill Hostel


ब्रुक हिल हॉस्टल:
१. इसको लोग बुर्खिल होसटिल भी कहते थे.
२. शाम को फील्ड में क्रिकेट खेलते थे.
३. मैस में खाने की सुबह जल्दी और शाम को बड़ा इन्तेजार रहता था. वैसे मैस कम ही चलती थी, कमरे में बनी चाय और खाने का मजा ही और था.
४. पूरे ११ साल तक हमारे चीएफ़ वार्डेन साहिब डा. जगदा ही थे. भले आदमी थे.
५. दो चाय की दुकाने थीं. बहुगुणा की और ठाकुर की. कभी एक  के पास ज्यादा उधार हो जाए, तो फट से दूसरे को पहले दिन नकद दे देते थे.   कमरे में चाय पहुचाने ठाकुर साब का बफादार छोटा लड़का था.  उसकी बड़ी याद आती है. 
६. सड़क के पार एक चर्च था. हम वहां एक्साम टाइम में पढने जाते थे. 
The nostalgic photographs from Brook Hill Hostel Nainital:

गुरुवार, जून 16, 2011

नोर्थुब्रिया युनिवेर्सिटी के लाइफ साइंसेस के वैज्ञानिकों ने कुछ लोगों को करीब ३०० कप चाय पिला -पिला के सबसे जायकेदार चाय का ए़क फार्मूला तैयार किया है, लीजिये पढ़िए:
http://www.sciencenewsblog.com/blog/६१५११४

वैसे फार्मूला ( साभार उपरोक्त लिंक) ये है:
Instructions for a Perfect Cup of Tea
  • Add 200ml of boiled water to a tea bag (in a mug).
  • Let the tea bag brew for 2 minutes.
  • Remove the tea bag.
  • Add 10ml of milk.
  • Wait 6 minutes before drinking to allow tea to reach optimum temperature of 60ºC (140ºF)

मंगलवार, जून 14, 2011

इज बौज्यू कि देली: पहाड़ी कहावतें old sayings form hills

"इज बौज्यू कि देली हौली-चौलि। "
देली से मतलब देहरी (entrance) से है।
ये ए़क पुरानी कहावत है। इसमें लडकी अपने माता-पिता के जीवित रहते हुवे माइके जाने पर मिलने वाले प्यार, दुलार का बखान कर रही है।
इसकी क्रमश: दूसरी और तीसरी लाइन जटिल होती जाती हैं। इस बार जब दाज्यू ने हमारी दादी के बारे में बताया तो यह भी बताया कि दादी इस कहावत को कहती थीं। वह इसलिए भी था, क्योंकि दादी के माता-पिता, और भाई-बहन कोई नहीं बचे थे। हालाकिं दादी करीब १०० साल के बाद भगवान् को प्यारी हुई।

सवाल ये है कि दूसरी और तीसरी लाइन हैं क्या?

पहाड़ी कहावतें
old sayings form hills