दीपावली के दौरान - नांदरी और संतोषं
दीपावली के ठीक एक दिन पहले का
' ग्रैंड स्वीट्स' पर
कोई भी मिठाई मिल पाने का संतोषम,
प्रयोगशाला में १०८ बार
बताये- दिखाए प्रयोग का
शोध छात्र द्वारा
एक बार पुनरावर्तन करने का संतोषम ,
सुबह-सुबह एक-आध घंटा निकाल के
कुछ रचनात्मक कर पाने का संतोषम,
उसके बाद सुबह की सैर के लिए
वक्त निकाल पाने और
जगह पर टी-शर्ट और जुटे -जुराब
जल्दी से मिल जाने का संतोषम,
उसी तरह से, ४ बजे की सम्पर्क क्रांति का
साडे ४ बजे तक निकल जाने और
११ बजे तक हल्द्वानी पहुंचने का संतोषम;
ये इस उम्र में अब उन संतोषम के स्तर पर लगता है,
जब हमें कहीं से एग्जाम में पास होने , या
कहीं नौकरी लगने ,
या एक प्रोजेक्ट के पास होने पर होती थी.
ये सब वक्त का तकज है , क्योंकि हमें अभी
वो दिन भी देखने हैं
जब कोई हमें देख के
ये गायेगा -
अंगना तो पर्वत भयो, देहरी भयी रे विदेश
Prem Jan 2025. (Dec. 2024)
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