अंगूरों से प्लाज्मा
अंगूर खट्टे हैं- उस लोमड़ी की कहावत याद आ रही है | यदि कभी खट्टे (या मीठे ) अंगूर घर में आ जायें तो आप माइक्रोवेव ओवन से एक प्रयोग कर सकते हैं.
नीचे दिए फोटो-समूह का वर्णन इस तरह है :
ऊपर बायां - प्लास्टिक की कटोरी में रखे दो अंगूर , ऊपर बीच में : कटोरी में प्लास्टिक की दूसरी कटोरी का ढक्कन (प्लाज्मा को नियंत्रित करने की लिए) , ऊपर (दायां ): १० सेकण्ड , नीचे बांया : प्लाज्मा शुरू (और प्रकाश का उत्सर्जन) , नीचे (बीच में ) : बड़े जोर का प्लाज्मा , नीचे (दायां ): प्रकाश उत्सर्जित करता हुआ -प्लाज्मा उड़ता हुआ., अंगूर नीचे धुंधले से दिख रहे हैं |
इसका सम्बन्ध लार्ड रेले द्वारा लन्दन के एक चर्च के अंदर चारों ओर -दीवालों के सहारे आने वाली आवाज के अनुनाद से भी है | इसी तरह के अनुनाद लखनऊ के इमामबाड़ा , या बीजापुर के गोल गुम्बद में भी सुन सकते हैं. प्रकाश भी इसी तरह के अनुनाद करता है , खासकर जब वह किसी गोलाकार वस्तु के अंदर फंस जाता है. यह पूर्ण परावर्तन से संभव है. माइक्रोवेव की तरंगदैर्ध्य 1 -10 सेमी की होती है. जब एक अंगूर को माइक्रोवेव ओवन में रखें और और चला दें तो माइक्रोवेव अंगूर के अंदर पूर्ण परावर्तित हो जाती हैं |
इससे वैद्दुत क्षेत्र बहुत अधिक हो जाता है | यदि दो अंगूरों को साथ-साथ रख दें (चित्र देखें), तो माइक्रोवेव की तीव्रता इतनी अधिक हो जाती है कि अंगूर के अंदर के पदार्थ का आयनीकरण हो जाता है - इसी आयनिक अवस्था को प्लाज्मा कहा जाता है. प्लाज्मा के आयन जब एक दूसरे से मिलते हैं तो वह प्रकाश का उत्सर्जन करते हैं | यह प्लाज्मा बिलकुल उसी तरह है -जैसे सूरज में होता है | इसका ताप काफी अधिक होता है - किन्तु इस तरह से अंगूर से निकला प्लाज्मा थोड़ा सा - और इतने कम समय के लिए होता है कि यह हानिकारक नहीं माना जा सकता | [फिर भी - चूंकि यह प्रयोग बिलकुल घरेलू स्थितियों में किया गया है , इसलिए सावधानी बरतना जरूरी है- और बच्चों को नहीं करना चाहिए |]
गैस , द्रव एवं ठोस के अलावा पदार्थ की चौथी अवस्था "प्लाज्मा " कहलाती है | [पांचवी अवस्था भी होती है - वो फिर कभी] [ये रक्त के प्लाज्मा से बिलकुल भिन्न बात है ]
Plasma is the fourth state of matter (3 states are gas, liquid and solid).
Plasma consists of charged particles i.e., : positively and negatively charged ions and electrons, respectively- almost equal in number. Plasma can be generated by irradiating any material by high energy photons of suitable frequency. The Sun contains plasma.
In the photograph (above) a home made plasma emission is seen. When negatively and positively charged particles meet, they radiate the light.
More interestingly, the plasma was generated by using the spherically shaped grapes. A pair of grapes was used which almost touch each other. The second photo is of the grapes AFTER the experiments, in which we can see that the grapes are cooked and have a deformed shape.
A pair of grapes helps to couple the wavelength of microwaves from one grape to the other. Actually, the microwave first bounces along the circumference of the grapes and meets where they touch. The water inside the grapes absorbs the microwaves and is actually responsible for the microwave-cooking. High density of the photons generates the plasma.
The wavelengths of the microwaves are of the order of a 1 -10 cm, however, when they enter the grapes, their wavelength reduces due to the refractive index of the grapes. This is the reason of the microwaves are able to circulate in the spherically shaped grapes. This is, by the way, due to whispering gallery modes - a highly sought after research field internationally - Two grapes also help the coupled mode.
प्रेम , Oct. 4, 2020
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