१. गुलों में रंग भरे, बाद-ए-नौबहार चले चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले क़फ़स उदास है यारों, सबा से कुछ तो कहो कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा आज ज़िक्र-ए-यार चले चले भी आओ... जो हमपे गुज़री सो गुज़री मगर शब-ए-हिज्राँ हमारे अश्क तेरे आक़बत सँवार चले चले भी आओ... कभी तो सुबह तेरे कुंज-ए-लब्ज़ हो आग़ाज़ कभी तो शब सर-ए-काकुल से मुश्क-ए-बार चले चले भी आओ... मक़ाम 'फैज़' कोई राह में जचा ही नहीं जो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार चले चले भी आओ...
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ (Text Ref: http://kavitakosh.org/kk/)
गायक: मेहदी हसन (रेशम के वाकिफ मुलायम आवाज----परिवार १६ पुश्तों से संगीत साधना में )
https://www.youtube.com/watch?v=aKwCwDPlOy8
२. रंजिश ही सही (राग : यमन )
https://www.youtube.com/watch?v=dxv5U0F0nzw
रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
कुछ तो मेरे पिन्दार-ए-मोहब्बत का भरम रख
तू भी तो कभी मुझको मनाने के लिए आ
पहले से मरासिम न सही, फिर भी कभी तो
रस्मों-रहे दुनिया ही निभाने के लिए आ
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से ख़फ़ा है, तो ज़माने के लिए आ
इक उम्र से हूँ लज़्ज़त-ए-गिरिया से भी महरूम
ऐ राहत-ए-जाँ मुझको रुलाने के लिए आ
अब तक दिल-ए-ख़ुशफ़हम को तुझ से हैं उम्मीदें
ये आखिरी शमएँ भी बुझाने के लिए आ..
(Ahmed Faraz)(Text ref: http://kavitakosh.org/kk/)
Ranjish hi sahi dil hi dukhaane ke liye aa, (let it be anguish, come at least to hurt the heart)... Come to leave me gain...
३. एक और ग़ज़ल
https://www.youtube.com/watch?v=N-NkiHpE-wI
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