मंगलवार, सितंबर 30, 2014

sawachh_bharat, Swatchh Bharat स्वच्छ भारत

 Sawachh_bharat, Swatchh Bharat
स्वच्छ  भारत


To help some institutes: here is the approximate translation of the oath (swachh-bharat-mission, (स्वच्छ  भारत - मिशन) to be taken on Oct 2, 2014).  I do not take any responsibility of any difference in the translation.  This has been done in good faith to help people by looking at the paucity of time. The original is at this link

http://www.mea.gov.in/Images/pdf/sawachh_bharat_mission.pdf


The India that Mahatma Gandhi had dreamed of did not only have political freedom but also an imagination of a clean and developed country.
Mahatma Gandhi freed mother Bharati by breaking the chains of slavery .
Now its our duty to serve mother India by removing the dirt.
I swear that I will be self-conscious of hygiene and give time for this.
I will adhere to the resolution of hygiene by doing 100 hours of Shramdan or 2 hours every week Every year .
Neither I will create dirt nor will allow anyone else to do so.
I will start first from myself, my family, my neighborhood, my village and my work place.
I do believe that the the reason of countries in the world that look clean, their citizens do neither create dirt nor they allow it happen.
With this idea, I will proclaim Swachcha bharat mission in villages and streets.
The oath I am taking now, will also help other 100 people take.
I will try that they also provide 100 hours for hygiene like me.
I know that my one step extended towards the hygiene will help make the whole India clean.


The original  link

http://www.mea.gov.in/Images/pdf/sawachh_bharat_mission.pdf

स्वच्छ भारत मिशन

  • महात्मा गांधी ने जिस भारत का सपना देखा था उसमें सिर्फ राजनैतिक आजादी ही नहीं थी, बल्कि एक स्वच्छ एवं विकसित देश की कल्पना भी थी।
  • महात्मा गांधी ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर माँ भारती को आज़ाद कराया।
  • अब हमारा कर्तव्य है कि गंदगी को दूर करके भारत माता की सेवा करें।
  • मैं शपथ लेता हूं कि मैं स्वयं स्वच्छता के प्रति सजग रहूंगा और उसके लिए समय दूंगा।
  • हर वर्ष 100 घंटे यानी हर सप्ताह 2 घंटे श्रमदान करके स्वच्छता के इस संकल्प को चरितार्थ करूंगा।
  • मैं न गंदगी करूंगा न किसी और को करने दूंगा।
  • सबसे पहले मैं स्वयं से, मेरे परिवार से, मेरे मुहल्ले से, मेरे गांव से एवं मेरे कार्यस्थल से शुरुआत करूंगा।
  • मैं यह मानता हूं कि दुनिया के जो भी देश स्वच्छ दिखते हैं उसका कारण यह है कि वहां के नागरिक गंदगी नहीं करते और न ही होने देते हैं।
  • इस विचार के साथ मैं गांव-गांव और गली-गली स्वच्छ भारत मिशन का प्रचार करूंगा।
  • मैं आज जो शपथ ले रहा हूं, वह अन्य 100 व्यक्तियों से भी करवाऊंगा।
  • वे भी मेरी तरह स्वच्छता के लिए 100 घंटे दें, इसके लिए प्रयास करूंगा।
  • मुझे मालूम है कि स्वच्छता की तरफ बढ़ाया गया मेरा एक कदम पूरे भारत देश को स्वच्छ बनाने में मदद करेगा।

1 टिप्पणी:

आशुतोष उपाध्याय ने कहा…

इस शपथ में जिस विकास की बात गांधीजी के हवाले से कही गयी है, वह उनके विचारों से पूरी तरह उलट है. गांधीजी आत्मनिर्भर ग्राम आधारित अर्थव्यवस्था के हिमायती थे, चरम उपभोक्तावादी शहरी बाजारवाद के नहीं, जिसे कुछ अर्थशास्त्री आज 'क्रोनी कैपिटलिज्म' भी कह रहे हैं.

दूसरे देश को सचमुच साफ़ रखना है तो हमें कम से कम गन्दगी पैदा करने वाली जीवनशैली को अपनाना होगा. कभी आपने सोचा कि साफ़-सुथरे रहने वाले पश्चिमी मुल्कों का 'कचरा' कहाँ जाता है? या अपनी राजधानी दिल्ली के बेहद साफ़ इलाके की गन्दगी कहाँ जाती है, जबकि यहाँ प्रति व्यक्ति सबसे ज्यादा गन्दगी पैदा करने वाले लोग रहते हैं?

देश को साफ़ रखना है तो सड़क पर झाड़ू लगाने की प्रतीकात्मता से बाहर निकल सादगी पर आधारित गाँधीवादी जीवनशैली को अपनाना होगा.
गाँधी का नाम लेकर उनके विचारों को दफनाने से कुछ नहीं होने वाला.

विकास के बारे में देखिये गांधीजी क्या कहते थे:
http://www.hindi.mkgandhi.org/ebks/hind_swaraj.pdf