रविवार, अप्रैल 07, 2013

धीर- ता धा -नि धिर धिर धिर- ता धा नि यां : हामिद अली खान

करीब बीस-पच्चीस  साल पुरानी बात है,  हमारे अजीज दोस्त कनाडे से वापिस आये.- टाइम काट के.  साथ में  लाये एक ऐसी केसेट, जिसने नैनीताल के उस तबके में  धूम मचा दी, जो उस टाईप का होता था. कई कापियां बनायी  गईं।  एक भी अब नहीं बची. बड़ी याद आयी उन तमाम सालोँ में ।
मिले हें , थोडा रिकार्डिंग की प्राब्लेम है, लेकिन चलेगा.

१. हामिद अली खान

लागे रे नैन तुमसे, पिया मोरे, (Lage re nain tumse)

 http://www.youtube.com/watch?v=YlMp0m42rnY

लागे रे नैन तुमसे, पिया मोरे, घढ़ी पल छिन नहीं चैन पडत    है, 
लागे रे नैन तुमसे- पिया मोरे

जब से पिया परदेश गयो रे.. देखि सुरतिया देर भयो रे.
विनति करत हूँ मैं, पैयाँ पडत हूं।
लागे रे नैन तुमसे...

धीर- ता धा -नि धिर धिर धिर- ता धा नि यां (Dhir ta dha ni dhir dhir dhir ta dha ni yam)


२. अमानत अली खान

उमराना  लाग्यां पब्बन पार, (Umrana lagyan pabban paar)
http://www.youtube.com/watch?v=ucR9cBwZjWI

प्रेम , अप्रैल ७, सन तेरह .

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