रविवार, अप्रैल 21, 2013

शेर -औ शायरी भी

 अचानक शेर -औ शायरी की बात निकली और सब कुछ शून्य निकला .

लीजिये पहले  कुछ इंटरनेट से:

The Prime minister मनमोहन सिंह ने ये वाला इस्तेमाल किया इस साल (लोकसभा में )
ham ko un se vafaa kii hai ummiid
jo nahiin  jaante vafaa kyaa hai  [ग़ालिब] 



१. हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद 

जो नहीं जानते वफ़ा क्या है .



इस पर उन्हें विपक्ष  की नेता श्रीमती सुषमा जी से जबाब भी मिला:



२. कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूँ हीं कोई बेवफा नहीं होता .



3. milat khilat laziyat (बिहारी)
मिळत  खिलत रीझत खिझत , मिळत खिलत  लजियात ,
भरे भौन  मैं करत हैं , नैनं ही से बात.

अगर आप बिहारी के इस दोहे का अर्थ समझ गए हों , तो आप ये भी जानते होंगे कि 
"बिहारी ने गागर मैं सागर  कैसे भर दिया ?"

४. सितारों से आगे जहाँ और भी हैं , अभी इश्क के इम्तेहान और और  भी हैं . 
ताही  जिंदगी से नहीं ये फज़ाएँ यहाँ सैंकड़ों कारवां और भी है।
Sitaron Se Aage Jahaan Aur Bhi Hain, Abhi Ishq Ke Imtihan Aur Bhi Hain.'

५.       कौन कहता है कि आसमान पर सुराख नहीं होता?
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो दोस्तो। 

6. दुश्मनी जम के करो
पर इतना इल्म रखो
कि गर कल दोस्ती हो जाये
तो शर्मिंदा न हो .





















रविवार, अप्रैल 07, 2013

गेलकी भी गिर जाए तो गिरने दो!


[This  particular story had a great impact on the outlook towards the society. This was one of the first posts in this blog in 2009]. 8 April 2013

हमारे नाना जी टनकपुर में उचौली गोठ में रहते थे। बात उन्ही दिनों कि है जब जिम कार्बेट (Jim Corbette) कुमाऊ नरभक्षियों  (Man Eaters of Kumaun) का शिकार कर रहे थे। आम लोगो को भी कभी कभार जंगली शिकार हाथ लग जाता.  ए़क बार ऐसे ही कहीं शिकार-भात खा रहे थे कि ए़क बाबाजी (fakir) आ गए।

 'नमो नारायण बाबा जी' कहने के बाद नाना जी ने उन्हें भात खाने के लिए आमन्त्रित किया। बाबा जी कुछ सब्जी के साथ भात खाने लगे, किंतु बाकि लोगों को शिकार देखकर उनका मन ललचा गया।
मनः स्थिति भांप कर नाना जी ने बाबा जी से पूछा : "आप भी लेंगे क्या?"
बाबाजी बोले: "अच्छा थोड़ा रस-रस छोड़ दो " [Please give some curry]
नानाजी ने करछी से सावधानी पूर्वक रस देने की कोशिश करी।
बाबाजी ने कहा : " बेटा गेलकी भी गिर जाए तो गिरने दो" [If the piece  also falls, let it drop].
नानाजी ने कुछ बाबाजी की थाली में टुकड़े भी डाल दिए। बाबाजी ने खूब चाव से खाया और विदा ली।
-प्रेम, जुलाई ४, 2009

धीर- ता धा -नि धिर धिर धिर- ता धा नि यां : हामिद अली खान

करीब बीस-पच्चीस  साल पुरानी बात है,  हमारे अजीज दोस्त कनाडे से वापिस आये.- टाइम काट के.  साथ में  लाये एक ऐसी केसेट, जिसने नैनीताल के उस तबके में  धूम मचा दी, जो उस टाईप का होता था. कई कापियां बनायी  गईं।  एक भी अब नहीं बची. बड़ी याद आयी उन तमाम सालोँ में ।
मिले हें , थोडा रिकार्डिंग की प्राब्लेम है, लेकिन चलेगा.

१. हामिद अली खान

लागे रे नैन तुमसे, पिया मोरे, (Lage re nain tumse)

 http://www.youtube.com/watch?v=YlMp0m42rnY

लागे रे नैन तुमसे, पिया मोरे, घढ़ी पल छिन नहीं चैन पडत    है, 
लागे रे नैन तुमसे- पिया मोरे

जब से पिया परदेश गयो रे.. देखि सुरतिया देर भयो रे.
विनति करत हूँ मैं, पैयाँ पडत हूं।
लागे रे नैन तुमसे...

धीर- ता धा -नि धिर धिर धिर- ता धा नि यां (Dhir ta dha ni dhir dhir dhir ta dha ni yam)


२. अमानत अली खान

उमराना  लाग्यां पब्बन पार, (Umrana lagyan pabban paar)
http://www.youtube.com/watch?v=ucR9cBwZjWI

प्रेम , अप्रैल ७, सन तेरह .