"................इस
संदर्भ में देखने लायक यह है कि रोमन ने भारतीय भाषाओं में क्या धुंध मचाया हुआ है।
भारतीय क्रिकेट कप्तान को जो कि एक हिंदी प्रदेश में रहता है और दूसरे हिंदी प्रदेश
का रहनेवाला है की जाति को धोनी कहा और लिखा जाता है। यह उत्तराखंड के कुमाऊं
क्षेत्र की एक जाति है जो कि धोनी नहीं बल्कि 'धौनी' है। और स्थानीय स्तर पर यह कोई
अपरिचित जाति भी नहीं है क्योंकि एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी इसी जाति के थे। यह
भी किसी से छिपा नहीं है कि हिंदी पत्रकारिता और साहित्य में अनगिनत उत्तराखंडी हैं
इसके बावजूद यह गलती चल रही है। इसे देखते हुए अगर मराठी में डबराल का 'दबराल' या
धोनी (धौनी) का 'ढोणी' होता है तो बहुत आश्चर्य नहीं होना चाहिए। दुख की बात यह है
कि राष्ट्रीय स्तर पर हमारी ओर से ऐसा कोई संगठित प्रयास नहीं है जो भारतीय नामों
को रोमन लिपि की इस विकृति से बचा सके।
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संपादक"
This is quoted from the editor of Samayantar., 27th June 2012
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