रविवार, अगस्त 10, 2025

राखी और राजा बली , संस्कृत के श्लोक

राखी और राजा बली 

 ----------------------------------------------------------

 राखी इस साल (२०२५) ,  ९ अगस्त . को मनायी  गई. 

 राखी के अवसर पर पंडित जी द्वारा कहा  जाने  वाला संस्कृत का मन्त्र:

"येन बद्धो बली-राजा दानवेन्द्रो महाबलः।

 तेन त्वाम् अभिबध्नामि रक्षे माचल माचल ॥"

 पौराणिक कहानियों के अनुसार,  ये  "पाताल  लोक" के वही राजा बलि हैं ( जिन्हें दान वीर के रूप  में जाना जाता है) , जिन्हें हमारे पूर्वज (उदहारण:  मेरे पिताजी) हर बार  खाने से पहले ५ गास अपनी थाली से निकाल कर थाली के बगल में रखते थे (बल पैठाना) . 

देवी लक्ष्मी ने बली राजा को एक  राखी बाँध कर उन्हें ये हिम्मत दिलायी  कि वह सुरक्षित  रहेंगे , इसके बदले में  राजा ने विष्णु ( जो बाली के साथ द्वारपाल का काम कर रहे थे) को लक्ष्मी के साथ जाने की इजाजत दे दी। 

आज के जमाने में  राखी बाँधने में भाई-बहन या पंडित-यजमान एक दूसरे  की सुरक्ष्या (आर्थिक, सामाजिक )  की तरह देखते हैं.


Other sanskrit shlokas are at this link: संस्कृत के श्लोक (बच्चों के लिए: नीचे दिए लिंक पर जाएँ)
----------------------------------------------------------------------
 
 
यदि आपको कोई बात उतनी सही नहीं लगी हो तो कमेंट कर सकते हैं.


प्रेम 
अगस्त १०,

कोई टिप्पणी नहीं: