भारत में सामान्यतया ढोल नगाड़ों का उपयोग कई अवसरों पर किया जाता है , जैसे मेलों, उत्सवों, मंदिरो या फिर नाच गानों के लिए। दुनियाँ भर में कई प्रकार के ढोल होते होंगे , ढोलकी भी इसी का एक प्रकार है । मृदंगम एक पुरातत्व तरह का वाद्य है , जो कि अजंता एलोरा की गुफाओं, या फिर कहीं और के चित्रों में दिखाई देता है । अनुनाद - ये शब्द हाई स्कूल के विद्यार्थी अच्छे से समझते हैं। ढोल नगाड़ों से बिलकुल अलग -मृदंगम और तबला - संगीत वाद्य हैं - इसका पूरा वर्णन प्रफ़ेसर C V RAMAN ने अपने शोध पत्रों में किया है। उनमें से एक का लिंक नीचे दिया है। फ़ोटो भी इसी पत्र से साभार ली गयी है
Ref: Indian musical drums by CV Raman
https://www.ias.ac.in/article/fulltext/seca/001/03/0179-0188 Prem
July 4, 2022
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