सोमवार, जुलाई 04, 2022

तबला और मृदंगम के सुर और ताल (C V RAMAN का शोध पत्र)

भारत  में सामान्यतया ढोल नगाड़ों का उपयोग कई अवसरों पर किया जाता है , जैसे मेलों, उत्सवों, मंदिरो या फिर नाच गानों के लिए।  दुनियाँ भर में कई प्रकार के ढोल होते होंगे , ढोलकी भी इसी का एक प्रकार है ।  मृदंगम एक पुरातत्व तरह का वाद्य है , जो कि  अजंता एलोरा की गुफाओं, या फिर कहीं और के चित्रों में  दिखाई देता है ।  अनुनाद - ये शब्द हाई स्कूल के विद्यार्थी अच्छे से समझते हैं।  ढोल नगाड़ों से बिलकुल अलग -मृदंगम और तबला - संगीत वाद्य हैं - इसका पूरा वर्णन प्रफ़ेसर C V RAMAN ने अपने शोध पत्रों में किया है। उनमें से एक का लिंक नीचे दिया है।  फ़ोटो भी इसी पत्र से साभार ली गयी है 

Ref: Indian musical drums  by CV Raman
https://www.ias.ac.in/article/fulltext/seca/001/03/0179-0188 

The tabla shows the patterns when it is played at a particular place on the membrane.

Prem
July 4, 2022

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