कोरोना से सम्बंधित एक और पोस्ट :
भारत में लॉक डाउन का तीसरा पक्ष चल रहा है (मई ४ से १७ तक )| लाल, नारंगी और हरे क्षेत्र बन गए हैं . कोरोना के साथ जीना सीखना है | वैक्सीन बनने में अभी ८ से १० महीने लगने का अनुमान है | जल्दी से जल्दी अगले साल के शुरुआत में शायद बाजार में आ जाये |
कोरोना महामारी ने दुनियां को जीने का नया तरीका जरूर सिखा दिया है | वो ऐसे कि आप यदि हरे क्षेत्र में हैं, तभी आप सभ्य हैं -अन्यथा आपको आपकी दौलत मुबारक | साथ ही अंधी दौड़ पर शायद लगाम भी लगे | सिर्फ अधिक से अधिक फायदे के चक्कर में जी रहे देश अब वापिस अपनी औद्योगिक संरचना को बदलने की तरफ जा रहे लगते हैं | यूरोप को डर लग रहा है कि बड़ी बड़ी डींगें हांकने वाला अमरीका जब घुटनों के बल पड़ा है- क्या नए संसार में उसकी भूमिका कहीं बदल तो नहीं रही?
विदेश भ्रमण पर निकले लोग अब 'उस' नजर नहीं देखे जा रहे| लोग दूर रहना चाहते हैं |
बड़े -बड़े बायोटेक्नोलॉजी के यहाँ से सीधे ब्रमांड की डींगें हांकने वाले शोध संस्थान, नेचर तथा साइंस से कम बात ना करने वाले वैज्ञानिक-सब धरे के धरे रह गए.
बड़े बड़े देशों की स्वास्थ्य पालिसी मुंह के बल जा पड़ी | दुनियां भर के लोग इस समय डाक्टरों के पास जाना भूल गए | जो गए भी उन्हें डाक्टर लोग बचा नहीं पाए ( इर्र्फान और चिंटू इसी बीच हमारे बीच नहीं रहे ) | अस्पताल जैसे अपने क्ष-रे MRI मशीनों के लिए मेंटेनेंस खर्चा भी नहीं उठा पा रहे | सारे एक्सपर्ट पता नहीं कहां गायब हो गए सीन से |
प्रेम मई ४, २०२०
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