कोरोना वायरस (covid19 यानि corona virus disease 2019); कोरोना शब्दावली (corona glossary)
भारत में कोरोना से सम्बंधित सरकार द्वारा जारी जानकारी के लिए यहाँ देखें
https://www.mygov.in/covid-19
click here for the updates on corona disease by Indian government.
https://www.mygov.in/covid-19
इससे सम्बंधित वैज्ञानिक जानकारियां यहाँ पर देखें :
https://www.cdc.gov/coronavirus/2019-ncov/about/index.html
भारत में कोरोना से सम्बंधित सरकार द्वारा जारी जानकारी के लिए यहाँ देखें
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इससे सम्बंधित वैज्ञानिक जानकारियां यहाँ पर देखें :
https://www.cdc.gov/coronavirus/2019-ncov/about/index.html
कोरोना एक जुकाम का वायरस है - इसका जिक्र जीव विज्ञान की इंटरमीडिएट की किताबों में मिलता है | परन्तु कोविद19 यानि covid19 जिस वाइरस ने दुनियां में त्राहि-त्राहि मचा रखी है , उसकी जाति तो एक है लेकिन बनावट और संक्रमण का तरीका एकदम भिन्न।
Translated in English by
Anupam Bisht
Corona is virus
that results in flu disease in humans with typical of common flu- symptoms.
Typically, the coronavirus is introduced to biology students of intermediate
classes. This particular strain of virus (Corona virus disease 2019 , covid –
19) has brought about chaos all out the world.
It is believed to have originated (or mutated to human infection level)
from a fish market in Wuhan, China.
The virus has different ways of transmission to patients. It is a new virus and hence there is no vaccine as yet (march 2020). Today over 3.5 lakh (350000) people are infected by this, over 100000 are recovered. However, over 13000 have died, mostly elderly patients who suffer from some or the other age-related ailments.
The virus has different ways of transmission to patients. It is a new virus and hence there is no vaccine as yet (march 2020). Today over 3.5 lakh (350000) people are infected by this, over 100000 are recovered. However, over 13000 have died, mostly elderly patients who suffer from some or the other age-related ailments.
उससे सम्बंधित कुछ शब्दावली नीचे दी जा रही है :
Below are a few commonly used terminologies (glossary) with respect to Corona.
१. सामुदायिक संक्रमण (community transmission): जब संक्रमण का स्तर इतना पहुंच जाय कि ये पता ना चल पाय कि इन बीमार व्यक्तियों को संक्रमण कहाँ से आया |
[उदाहरणरार्थ , आज-कल के हिन्दुस्तान में इस बीमारी से ग्रस्त करीब-करीब 100 प्रतिशत बीमारों के संक्रमण का मिलान किसी न किसी ऐसे व्यक्ति से किया जा पा रहा है -जो, हफ्ते -दो हफ्ते पहले विदेशों से हिन्दुस्तान में दाखिल हुआ है|] इसका मतलब ये है कि अभी (२२ मार्च २०२० तक ) भारत में सामुदायिक संक्रमण या तो नहीं हुआ है, या फिर हमारे पास इतने टेस्ट केंद्र नहीं हैं, जो ये बता पा रहें हैं|
हालांकि जिस गति से संक्रमित व्यक्तियों की संख्या में पिछले दो दिनों में इजाफा हुआ है (१०० प्रति दिन) , रहा है कि हमारी स्वास्थ्य सेवाओं की पता करने की गति कुछ कम है | देखते हैं - इस हफ्ते में - क्या होता है |
I. Community transmission: When the level of infection increases, where one cannot trace out the incoming link of the infection in the affected patients. For example, presently most of the coronavirus affected patients in India have contracted the disease from meeting or in being close contact with people who have returned from foreign travel in the last 1- 2 weeks. This means that, in India till now there is either no ‘community transmission’ or we do not have the resources (i.e. testing centres /kits) to identify it. Looking at the rise in the number of affected individuals in the past days (100 per day) it appears that the testing ability was a bit less. We have to wait and watch what happens this week !
२. झुण्ड प्रतिरोधकता [हर्ड इम्युनिटी (Herd immunity) ]:
यदि किसी बीमारी से दो चार होने के बाद किसी समाज के व्यक्तियों में उस बीमारी के प्रभाव को रोकने के लिये शरीर में कुछ वस्तुओं का सृजन होता है। ऐसी वस्तुओं को प्रतिपिंड (antibodies) कहते हैं। प्रतिपिंड तभी पैदा होते हैं जब उस बीमारी के वाइरस उस समाज के बड़े हिस्से में आ तो जाए परन्तु उन्हें बीमार न कर पाएं | इस तरह से उस समाज के बचे हुए लोग भी बीमारी से बचे रह जाते हैं - इसे झुण्ड प्रतिरोधकता कहते हैं|
II. Herd immunity: After a person is affected by a disease,
the body of the affected person produces certain substances (proteins) which
protect the individual if he/she comes contracts with the disease. These
substances are called antibodies and help in providing immunity from that
specific disease for which it was produced. In case a large part of the
population develops this disease or, in the future they are given vaccines they
will have antibodies. In this way they will no more contract the infection and
hence protect the other individuals who haven’t got the disease yet.
३. सामाजिक दूरी एवं संगरोधन (social distancing and quarantine/ isolation)
संक्रामक रोग के प्रसार को रोकने के लिए अलगाव की स्थिति को इन शब्दों से जाना जाता है| संगरोधन या तो अस्पतालों में किया जाता है या फिर स्वत:-संगरोधन (self-quarantine) के लिए सुझाव दिया जाता है | कुछ ऐसे लोग जिनको कोविद १९ से संक्रमित पाया जाता है किन्तु उनको कोई प्रभाव नहीं दीखता , उन्हें 14 दिनों के लिए प्रथक निगरानी (quarantine) पर रखा जाता है ताकि यदि उन्हें इस दौरान कोई लक्षण दिखें तो सही इलाज दिया जा सके.
इस समय इटली के बहुत सारे शहरों में लोगों को बिल्डिंगों में १४ दिनों के लिए संगरोधित किया गया है , इसी तरह से आज बाहरवर्ष में सुबह ७ बजे से रात्रि ९ बजे तक "जनता कर्फ्यू " का आह्वान प्रधानमन्त्री जी द्वारा किया गया था , जो की अक्षरतः सफल रहा |
हाथ मिलाने के बजाय दूर से नमस्कार करना, इस हिसाब से - एक अच्छी आदतों में है. शिक्षण संस्थानों में वीडियो व्याख्यानों द्वारा पढ़ाई तथा इसी तरह से इम्तहानों का लिया जाना इस समय की मांग है
III. Social
Distancing and quarantine/isolation
In order to
stop the spread of the disease it is required to keep distance with other
people and is known as social distancing. Quarantine can be done in hospitals
or can be done by oneself (self-quarantine ). Presently, in many cities in
Italy, many people have been quarantined in the buildings. Similarly, in India
also on 22nd March 2019 a “Janata curfew” (people’s curfew”) was
observed form 7am to 9pm which was suggested by the Prime minister, and was quite successful.
To greet
with a “Namaskar” from a distance instead of shaking hands has been considered as
a good practice. Educational institutes are considering the need to deliver
online video lectures as well as conducting similar online exams.
४. वक्र समतलता (flattening the curve):
पिछले एक महीने से भारत में इस बीमारी से संक्रमित लोगों की संख्या ३ से २०-४० तक रही| जबकि पिछले दो दिनों में संख्या में प्रतिदिन ४०- से १०० तक का इजाफा हो गया| इन दो संख्याओं को हम - दो तरह के वक्रों में रख सकते है : पहले वाली समतल , जबकि दूसरी वाली खड़ी |
चूँकि स्वास्थ्य सेवाएं सामान्य गति से आने वाली बीमारियों के लिये बनायी जाती हैं, अत: एकदम खड़ी वक्र वाली बीमारियां स्वास्थ्य विभाग के लिए विकराल समस्या बन जाती है और स्थितियां महामारी (Pandemic) का रूप ले लेती हैं | इसलिए वक्र समतलता बनाये रखने के लिए सरकारें "जनता कर्फ्यू " या लॉकडाउन का सहारा लेती हैं. हमारा कर्तव्य बन जाता है कि ऐसे समय में हम न सिर्फ सरकारों का पूरा सहयोग करें बल्कि घरों से से कम-से-कम निकलें .
IV. Flattening
the curve: In the
last month the population of corona patients in india has risen from 3 to 20-40.
The number has increased from 40 to 200
in the last 2 days. The diseases can rise in two ways – (i). very slowly (flat or almost no increase with
time) , or (ii). drastically in a short period (exponentially).
As most of
the people are generally healthy and the health care system of any country is designed
to tackle for the people who fall sick
(generally slowly). When there is an exponential increase in the number of
patients this leads to chaos in the society and hence causes a pandemic.
Therefore, in order to keep the disease spreading gradually, the government has
to takes steps such as ‘curfews’ or ‘lockdown’
in the cities. This is in order to avoid the curve to become steep. In such scenarios it is
the responsibly of all individuals to cooperate and support the government
while also avoiding to come out of houses.
५. व्युत्पन्न प्रारुप वाले लोग (Asymptomatic people):
ये वो लोग होते हैं - जो बीमारी के संक्रमण लिए हुए हैं किन्तु, उनके अपने प्रतिरोध से उन्हें बीमारी नहीं हुई है, या फिर ठीक हो चुके हैं| ये लोग भी बीमारी को फ़ैलाने का कार्य करते हैं | चूंकि कोविद19 का वायरस शरीर के अंदर १४ दिनों तक और स्टील या प्लास्टिक की सतह पर ३ दिनों तक जिंदा रह जाता है , इसका इलाज यही है कि ऐसे लोगों को १४ दिनों तक अलगाव की स्थिति में रखा जाय |
ये वो लोग होते हैं - जो बीमारी के संक्रमण लिए हुए हैं किन्तु, उनके अपने प्रतिरोध से उन्हें बीमारी नहीं हुई है, या फिर ठीक हो चुके हैं| ये लोग भी बीमारी को फ़ैलाने का कार्य करते हैं | चूंकि कोविद19 का वायरस शरीर के अंदर १४ दिनों तक और स्टील या प्लास्टिक की सतह पर ३ दिनों तक जिंदा रह जाता है , इसका इलाज यही है कि ऐसे लोगों को १४ दिनों तक अलगाव की स्थिति में रखा जाय |
V. Asymptomatic
people: These are
people who have contracted the disease, yet do not show symptoms or have
recovered from the illness. They are still carriers of the infection. Since the
covid – 19 virus can be inside the human body for 14 days while can remain in
hard surfaces ( of plastic , metal ) for 3 days. Therefore, the ideal solution
to prevent the spread of this disease is to quarantine people who have
contracted or are probable to contract the disease.
इस लेख को बनाने में अंग्रेजी के अखबार The HINDU (March 20, 2020) में छपे एक लेख का उद्धृत करना उचित होगा : उस लेख के लेखक डॉ. सागर भट्टाड आदि हैं।
आपके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए, और दूर-दूर रहने, अक्सर हाथ धोने की सलाह के साथ,
प्रेम
मार्च २२, २०२०.
World health organization link on COVID19 is here
https://www.who.int/emergencies/diseases/novel-coronavirus-2019
World health organization link on COVID19 is here
https://www.who.int/emergencies/diseases/novel-coronavirus-2019
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