आधुनिक संचार के पितामह क्लॉड शनान (Claude Shannon)
क्लॉड शनान ने १९४८ में गणित में संचार का एक ऐसा आइडिया [१] दिया जिससे आजकल की डिजिटल संचार ब्यवस्था की नीव रख दी. कई दशकों (यहाँ तक कि मृत्यु तक ) तक उन्हें बहुत लोग नहीं जानते थे.
जैसे गुरुत्वकर्षण के नियमों के लिए न्यूटन का योगदान है- ठीक वैसे ही आधुनिक संचार में शनान का योगदान मान जाता है.
१९४० के आसपास जब टेलीफोन , टीवी , टेलीग्राम टेलेक्स आदि संचार के माध्यम अलग अलग तरह से काम करते थे , शनान ने इन सबको एक ही थाली के चट्टे - बट्टे बता कर एकाकार कर दिया। उन्होंने ये भी बताया कि इन सबका यूनिट एक बिट है। 'बिट' का इस्तेमाल शनान ने पहली बार किया था १९४८ में। उन्होंने इनपुट
एवं आउटपुट की सीमाओं को भी तभी तय क्र दिया। जैसे आप यदि किसी कैमरे से फोटो का डिटेल लेना चाहें तो आप एक सीमा से आगे नहीं जा सकते. फोटो धुंधली हो जायेगी - इसको आप शनान सीमा कह सकते हैं. ठीक वैसे ही- आपकी इंटरनेट की स्पीड या फिर मोबाइल के सिग्नल आदि आदि- सब शनान सीमा में काम करते हैं.
उनकी जन्म शताब्दी (१९१६) मनायी जा रही है। उन्होंने संचार थ्योरी , डेटा संकलन , डिजिटल कम्प्यूटर , डेटा सुरक्ष्या , कृत्रिम बुद्धि तथा सर्कस में दिखाई जाने वाली जगलिंग पर काम किया।
[information theory , data compression, digital computers , cryptography, and juggling, as well as laying foundations of artificial intelligence] .
एक लिंक
http://www.itsoc.org/resources/Shannon-Centenary
एक वीडियो
https://www.youtube.com/watch?v=z2Whj_nL-x8
[१]. C. E. Shannon, "A Mathematical Theory of Communication," Bell System Technical Journal, vol. 27, pp. 379–423, 623–656, 1948.
प्रेम , जून ३, २०१६
क्लॉड शनान ने १९४८ में गणित में संचार का एक ऐसा आइडिया [१] दिया जिससे आजकल की डिजिटल संचार ब्यवस्था की नीव रख दी. कई दशकों (यहाँ तक कि मृत्यु तक ) तक उन्हें बहुत लोग नहीं जानते थे.
जैसे गुरुत्वकर्षण के नियमों के लिए न्यूटन का योगदान है- ठीक वैसे ही आधुनिक संचार में शनान का योगदान मान जाता है.
१९४० के आसपास जब टेलीफोन , टीवी , टेलीग्राम टेलेक्स आदि संचार के माध्यम अलग अलग तरह से काम करते थे , शनान ने इन सबको एक ही थाली के चट्टे - बट्टे बता कर एकाकार कर दिया। उन्होंने ये भी बताया कि इन सबका यूनिट एक बिट है। 'बिट' का इस्तेमाल शनान ने पहली बार किया था १९४८ में। उन्होंने इनपुट
एवं आउटपुट की सीमाओं को भी तभी तय क्र दिया। जैसे आप यदि किसी कैमरे से फोटो का डिटेल लेना चाहें तो आप एक सीमा से आगे नहीं जा सकते. फोटो धुंधली हो जायेगी - इसको आप शनान सीमा कह सकते हैं. ठीक वैसे ही- आपकी इंटरनेट की स्पीड या फिर मोबाइल के सिग्नल आदि आदि- सब शनान सीमा में काम करते हैं.
उनकी जन्म शताब्दी (१९१६) मनायी जा रही है। उन्होंने संचार थ्योरी , डेटा संकलन , डिजिटल कम्प्यूटर , डेटा सुरक्ष्या , कृत्रिम बुद्धि तथा सर्कस में दिखाई जाने वाली जगलिंग पर काम किया।
[information theory , data compression, digital computers , cryptography, and juggling, as well as laying foundations of artificial intelligence] .
एक लिंक
http://www.itsoc.org/resources/Shannon-Centenary
एक वीडियो
https://www.youtube.com/watch?v=z2Whj_nL-x8
[१]. C. E. Shannon, "A Mathematical Theory of Communication," Bell System Technical Journal, vol. 27, pp. 379–423, 623–656, 1948.
प्रेम , जून ३, २०१६
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