शनिवार, मार्च 22, 2014

दुश्मनी - दोस्ती -शर्मिंदा



दुश्मनी जम के करो
पर इतना इल्म रखो
कि गर फिर से दोस्ती हो जाये
तो शर्मिंदा न हों !
 -बशीर बद्र
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दुश्मनी जम के करो मगर ये गुंजाइश रहे , गर फिर से दोस्ती हो, तो शर्मिंदगी न हो.
Basheer Badra

Key words: dushmani jam ke karo  Dusmani jam ke karo

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