दुश्मनी जम के करो
पर इतना इल्म रखो
कि गर फिर से दोस्ती हो जाये
तो शर्मिंदा न हों !
-बशीर बद्र
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दुश्मनी जम के करो मगर ये गुंजाइश रहे , गर फिर से दोस्ती हो, तो शर्मिंदगी न हो.
Basheer Badra
Key words: dushmani jam ke karo Dusmani jam ke karo