नीचे दिया गया पैरा नैनीताल समाचार (१-१४ जून, २०१०) से लिया गया है। सन १३०० के आसपास की बात है!
...................यहाँ एक भारी भरकम ताम्रपत्र था, जिसे तत्कालीन जिला मुख्यालय अल्मोड़ा में मँगा लिया गया था। भूमिदान से सम्बन्धित था इस ताम्रपत्र की प्रतिलिपि मंदिर के पुजारी के पास है। यह इस प्रकार है:- ‘‘कल्याण हो। श्री षाके 1345 उत्तरायण में पौर्णमासी के दिन फल्गु नक्षत्र आषाढ़ के अन्त में इस पृथ्वी पर चूंड़ामणि की भाँति जिसके युगपद सुषोभित हैं, उसी राजा के द्वारा चम्पावती कुमञां में कुन्ज को भूमि दी गई । यह ब्राह्मण जो मायासेरी का उपभोग करता आ रहा है, वह प्रसन्न हो गया। राजा विक्रमचंद्र दान देने में कल्पवृक्ष की भाँति होवे। यह भूमि पूर्व में उदारमना राजा क्राचाचल्ल द्वारा दी गई थी। यह भूमि दुष्ट लोगों के उपद्रवों से न छीनी जाए, इसलिए इसका जीर्णोद्धार कर दिया गया इत्यादि। इसके साक्षी हैं, रूदु चौंकियाल, प्रभु बीष्ट, जनु महुणि इत्यादि।’’
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Variety of postings in science, culture and myself. Born in Champawat, graduated in Naini Tal and after spending memorable years in Nippon, I am in Chennai. I shunt in between Chennai and Champawat at least once a year. Disclaimer: “The views expressed in this blog are personal and not that of the Institution (Indian Institute of Technology Madras).”
गुरुवार, जुलाई 22, 2010
मंगलवार, जुलाई 20, 2010
वाद-विवाद प्रतियोगिता (चेन्नई से)
अनुपम ने १-७-२०१० को ए़क वाद-विवाद प्रतियोगिता में हिस्सा लिया:
"क्या भारत विश्व का नेतृत्व करेगा? "
आदरणीय अध्धक्ष्य / निर्णायक महोदय, एवं साथियों,
मुझे लगता है कि यह मेरे विपक्षी साथियों का ए़क अच्चा सपना है। ये सपना पूरा होगा - इस बात में मुझे कदापि विश्वास नहीं है। इसके ढेर सरे कारण हैं, लेकिन समयाभाव के कारण में कुछ आपको बताता हूँ:
नंबर १: भारत में अनेको तरह कि विसंतायें हैं, जैसे: धर्म, भाषा, खानपान, रीति - रिवाज , जो देश की उन्नति में बाधक नजर आते हैं।
नंबर २: साम्प्रदायिकता तथा जातीय भेदभाव कुछ और मुख्य समस्याएं हैं।
नंबर ३: भ्रष्टाचार:- भारत में हर स्तर पर भ्रस्टाचार का बोलबाला हैं जो इस देश को गर्त में ले जाने के लिए तैयार है।
नंबर ४: जनसँख्या अवं गरीबी:- निरंतर बढती जनसँख्या एवं गरीबी काल की तरह भारत के सामने मुंह खोले तैनात है। प्रतिवर्ष भारत मं 'ऑस्ट्रेलिया कि बराबर की' जनसँख्या बढती है।
नंबर ५: अशिक्ष्या:-आजादी के साठ साल बाद भी देश की आधी से ज्यादा जनसंख्या अपना नाम तक पढना -लिखना नहीं जानती है। विज्ञान के नाम पर पिछले अस्सी सालों से ए़क भी नोबेल पुरुस्कार भारत के वैज्ञानिकों ने नहीं जीते हैं। तकनीक के नाम पर "स्क्रू ड्राईवर टेक्नोलोजी" भारत की शान है। इलेक्त्रोनिकी की चिप बनाने का एक भी कारखाना नहीं है।
नंबर ६: राजनीति:- कुछ को छोड़ , बहुत से राजनेता चोर-मानसिकता से अपना घर भरते हैं, उन्हें जनता की समस्याओं से कुछ लेना -देना नहीं होता है।
नंबर ७: स्वास्थ्य:- सबसे प्रमुख है: बच्चों का स्वास्थ्य। जिस देश के आधे से ज्यादा बच्चे भूखे सोते हों, उस देश का भविष्य क्या होगा , इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। युवा वर्ग के स्वास्थ्य का ए़क नमूना इस समय चल रहे दक्षिण अफ्रीका में फुटबोल का विश्वकप है, जिसमें भारत का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं है। खेलकूद प्रतियोगिताओ में ओलम्पिक में ए़क भी स्वर्ण पदक का न मिलना इसका ज्वलंत उदहारण है।
"क्या भारत विश्व का नेतृत्व करेगा? "
आदरणीय अध्धक्ष्य / निर्णायक महोदय, एवं साथियों,
मुझे लगता है कि यह मेरे विपक्षी साथियों का ए़क अच्चा सपना है। ये सपना पूरा होगा - इस बात में मुझे कदापि विश्वास नहीं है। इसके ढेर सरे कारण हैं, लेकिन समयाभाव के कारण में कुछ आपको बताता हूँ:
नंबर १: भारत में अनेको तरह कि विसंतायें हैं, जैसे: धर्म, भाषा, खानपान, रीति - रिवाज , जो देश की उन्नति में बाधक नजर आते हैं।
नंबर २: साम्प्रदायिकता तथा जातीय भेदभाव कुछ और मुख्य समस्याएं हैं।
नंबर ३: भ्रष्टाचार:- भारत में हर स्तर पर भ्रस्टाचार का बोलबाला हैं जो इस देश को गर्त में ले जाने के लिए तैयार है।
नंबर ४: जनसँख्या अवं गरीबी:- निरंतर बढती जनसँख्या एवं गरीबी काल की तरह भारत के सामने मुंह खोले तैनात है। प्रतिवर्ष भारत मं 'ऑस्ट्रेलिया कि बराबर की' जनसँख्या बढती है।
नंबर ५: अशिक्ष्या:-आजादी के साठ साल बाद भी देश की आधी से ज्यादा जनसंख्या अपना नाम तक पढना -लिखना नहीं जानती है। विज्ञान के नाम पर पिछले अस्सी सालों से ए़क भी नोबेल पुरुस्कार भारत के वैज्ञानिकों ने नहीं जीते हैं। तकनीक के नाम पर "स्क्रू ड्राईवर टेक्नोलोजी" भारत की शान है। इलेक्त्रोनिकी की चिप बनाने का एक भी कारखाना नहीं है।
नंबर ६: राजनीति:- कुछ को छोड़ , बहुत से राजनेता चोर-मानसिकता से अपना घर भरते हैं, उन्हें जनता की समस्याओं से कुछ लेना -देना नहीं होता है।
नंबर ७: स्वास्थ्य:- सबसे प्रमुख है: बच्चों का स्वास्थ्य। जिस देश के आधे से ज्यादा बच्चे भूखे सोते हों, उस देश का भविष्य क्या होगा , इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। युवा वर्ग के स्वास्थ्य का ए़क नमूना इस समय चल रहे दक्षिण अफ्रीका में फुटबोल का विश्वकप है, जिसमें भारत का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं है। खेलकूद प्रतियोगिताओ में ओलम्पिक में ए़क भी स्वर्ण पदक का न मिलना इसका ज्वलंत उदहारण है।
अत: उपरोक्त के आधार पर ये कहना बिलकुल भी अनुचित नहीं होगा कि भारत विश्व का नेतृत्व करने की स्थिति में अगले १०० सालों तक तो नहीं है।
- anupam
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