हिल्लोरी बाबा हिल्लोरी
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हिल्लोरी बाबा हिल्लोरी,
आमा कौन्छे बाबा पांढ में छे।
की करेनेच्चे?
पूरि पक्कुने।
एक पुरी मी दे ,
काच्चेवे छ।
भाढ़ मै है कव्वा छुट्यो
ढुन ढुन ढुन ढुन
Variety of postings in science, culture and myself. Born in Champawat, graduated in Naini Tal and after spending memorable years in Nippon, I am in Chennai. I shunt in between Chennai and Champawat at least once a year. Disclaimer: “The views expressed in this blog are personal and not that of the Institution (Indian Institute of Technology Madras).”
शनिवार, जुलाई 25, 2009
बच्चों के लिए : पढ़ना सुखदायी, bachcho padhna hai sukhdayee
बचपन की सुनी ए़क और चौपाई:
bachcho padhna hai sukhdayee
mile isee se tumhen badhaai
pahle thoda kasht utho,
fir sab din aanad uthao.
बच्चो पढ़ना है सुखदायी , मिले इसी से तुम्हें बढ़ाई।
पहले थोड़ा कष्ट उठाओ, फ़िर सब दिन आनंद उठाओ।
Children, studies will bring happyness.
During studies you undergo hard work-
but later you enjoy -always.
:हिंदी hindi poems for children:
bachcho padhna hai sukhdayee
mile isee se tumhen badhaai
pahle thoda kasht utho,
fir sab din aanad uthao.
बच्चो पढ़ना है सुखदायी , मिले इसी से तुम्हें बढ़ाई।
पहले थोड़ा कष्ट उठाओ, फ़िर सब दिन आनंद उठाओ।
Children, studies will bring happyness.
During studies you undergo hard work-
but later you enjoy -always.
:हिंदी hindi poems for children:
रविवार, जुलाई 19, 2009
संस्कृत के श्लोक
1. कुछ श्लोक बच्चों के लिए इकट्ठे किए हैं, पेश हैं:
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न चौर हार्यम न च राज हार्यम, न भ्रात्रभाज्यम न च भारकारी
व्यये कृते वर्धते नित्यं, विद्या धनं सर्वधनं प्रधानम् ।१।
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न चौर हार्यम न च राज हार्यम, न भ्रात्रभाज्यम न च भारकारी
व्यये कृते वर्धते नित्यं, विद्या धनं सर्वधनं प्रधानम् ।१।
[Meaning is here]
काक चेष्टा बकोध्यानम, स्वान निंद्रा तथैव च
अल्पहारी गृहत्यागी, विद्यार्थी पञ्च लक्षणं । २।
काक चेष्टा बकोध्यानम, स्वान निंद्रा तथैव च
अल्पहारी गृहत्यागी, विद्यार्थी पञ्च लक्षणं । २।
[Meaning is here]
विद्या ददाति विनयम, विनयात याति पात्रत्वाम
पात्र्त्वात धनमाप्नोति, धनात धर्मः ततः सुखं । ३।
विद्या ददाति विनयम, विनयात याति पात्रत्वाम
पात्र्त्वात धनमाप्नोति, धनात धर्मः ततः सुखं । ३।
[education makes us humble, employable, well off to donate to be happy]
नैनं छिदंति शस्त्राणि, नैनं दहति पावकः,
न चैनं क्लेदयन्त्यापो, न शोषयति मारुतः। ४।
[This s about the Soul, atma: it can not be destroyed even by fire etc].
कर्मनेवाधिकरास्ते मा फलेषु कदाचन
मा कर्मफल हेतुर्भुर्मा, ते सन्गोत्सवकर्मनि। ५।
[We should continue to work sincerely without expecting the results!]
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः,
अभुथानाम धर्मस्य तदात्मानं सृजाम्हम।६।
( श्लोक नम्बर ४, ५ एवं ६ श्री मद्भाग्वात्गीता से हैं )
कर्मनेवाधिकरास्ते मा फलेषु कदाचन
मा कर्मफल हेतुर्भुर्मा, ते सन्गोत्सवकर्मनि। ५।
[We should continue to work sincerely without expecting the results!]
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः,
अभुथानाम धर्मस्य तदात्मानं सृजाम्हम।६।
( श्लोक नम्बर ४, ५ एवं ६ श्री मद्भाग्वात्गीता से हैं )
[Its about self corrections of the societies, when there are extremities].
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चित् दुःख भाग्भावेत । ७।
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चित् दुःख भाग्भावेत । ७।
[Let everyone be happy in the world]
गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णू गुरुर्देवो महेश्वर|
गुरु साक्ष्यात परब्रहम्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः||
[The teacher is considered to be a special person! ]
2. Twameywa maata chh pita twamewa, twmeywa bhadhu sch sakha twamewa
twameywa widya dravidam twameywa, twameywa sarwam mam dev deva.
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव|
त्वमेव विद्या द्रविडं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देवो ||
[How teacher is considered as a friend, like parents and actually everything during the training. In constant touch with the development of the personality]
3. सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी ।
विद्यारम्भं करिस्यामि सिध्दिर्भवतु मे सदा ॥
[As Goddess Saraswati is considered to be the source of education, generally this sloka is used while starting learning a new art/ subject/ musical instrument].
गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णू गुरुर्देवो महेश्वर|
गुरु साक्ष्यात परब्रहम्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः||
[The teacher is considered to be a special person! ]
2. Twameywa maata chh pita twamewa, twmeywa bhadhu sch sakha twamewa
twameywa widya dravidam twameywa, twameywa sarwam mam dev deva.
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव|
त्वमेव विद्या द्रविडं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देवो ||
[How teacher is considered as a friend, like parents and actually everything during the training. In constant touch with the development of the personality]
3. सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी ।
विद्यारम्भं करिस्यामि सिध्दिर्भवतु मे सदा ॥
[As Goddess Saraswati is considered to be the source of education, generally this sloka is used while starting learning a new art/ subject/ musical instrument].
सरस्वती मया दृष्टा वीणापुस्तक धारिणी |
हंसवाहन संयुक्ता विद्या दानं करोतु मे||
प्रथमम्भारती नाम द्वितीयञ्च सरस्वती। तृतीयं शारदा देवी चतुर्थं हंसवाहिनी।। पञ्चमन्तु जगन्माता षष्ठं वागीश्वरी तथा। सप्तमञ्चैव कौमारी चाष्टमं वरदायिनी।
4. न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दुःखं, न मन्त्रो न तीर्थो न वेदा न यज्ञ ।
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता, चिदानन्दरूपः शिवोऽहम् शिवोऽहम् ।।
[This appears like a modern shloka -very critical of life. It is (one of 6 stanzas) known as Atmashtakam.
http://en.wikipedia.org/wiki/Atma_Shatkam]
5. यत्र विद्वज्जनो नास्ति श्लाघ्यस्तत्राल्पधीरपि ।
निरस्तपादपे देशे एरण्डोऽपि द्रुमायते ॥
[अंधों में काना राजा ]
6. मूर्ख की पहचान :
"मूर्खस्य "पञ्च चिन्हानि" गर्वो, दुर्वचनं, तथा। क्रोधश्च, दृढवाद,श्चपरवाक्येष्वनादरः॥"
7. श्राद्ध , तरपन के बाबत
"जीविते भोजनं नैव, मृते च भोजनं शतम् ।
जीवितैव हि तृप्तिश्चेत्, ब्रह्मानन्दफलं लभेत्|| "
जीवित परिवार के सदस्य को हो सकता है किसी कारणवश भोजन भी टाइम पर ना मिल पाया हो, लेकिन मृत्यु पश्चात तम्माम (सैकङों) भोज का आयोजन किया जाता है ;
जीवित परिवार के सदस्य की यदि सेवा ढंग से की जाय , तो मनुष्य (नर या नारी ) को अनेकों पुण्य प्राप्त होंगे. ||
8. जन्म -जन्म यदा अभ्यस्ते दानम- च अद्ध्य्नम- तप: ।
तेनैव अभ्यास योगेन, देहि च अभ्यस्ते पुन:॥
[ If you keep on practicing the donations, studies and yoga...
Due to these practices , the next life would again keep (at least the part of ) those practices.]
9. नवरात्रियों के श्लोक :
या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
१०. सर्व मंगल्य मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके |
शरण्ये त्रियम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ||
9. नवरात्रियों के श्लोक :
या देवी सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
१०. सर्व मंगल्य मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके |
शरण्ये त्रियम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ||
११. कांक्षन्तः कर्मणां सिद्धिं यजन्ते इह देवताः |
क्षिप्रं ही मानुषे लोके सिद्धिर्भवति कर्मजा || १२|| (४)||
Rishi Charvak:
12. यावज्जीवेत्सुखं जीवेत् ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत् । भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमनं कुतः ||Keywords: for search in Roman:
kaak chesta bako dhaanam
n chor haryam
Sarve bhawantu sukhinh
yada yada hi dharmasya
Guru Brahmma Guru Vishnu
twamewa maata cha pita twamewa
http://champawatsechennaitak.blogspot.in/2013/10/sanskrit-slokas-for-children-for.html
2. 2. इस पेपर में ऐसा कुछ लिखा है कि संस्कृत भाषा कम्प्यूटर या कृत्रिम दिमाग के लिए अनुकूल है. हालाँकि ये शोध पत्र करीब ३५ साल पुराना है , इसलिए थोड़ा सा "please take it with a pinch of salt".
https://www.aaai.org/ojs/index.php/aimagazine/article/view/466
विद्या बाटने से बढती हैं: पढो और पढाओ
न चौर हार्यम न च राज हार्यम,
न भ्रात्रभाज्यम, न च भारकारी
व्यये कृते वर्धते नित्यं,
विद्या धनं सर्वे धनं प्रधानम् ।
Education is top rated economy. This is so as it is neither stolen by any one, nor can be divided in a family, nor can be taxed by the state. Actually this is the only type of money- that multiplies when distributed (teaching something helps the knowledge of the teacher).
न भ्रात्रभाज्यम, न च भारकारी
व्यये कृते वर्धते नित्यं,
विद्या धनं सर्वे धनं प्रधानम् ।
Education is top rated economy. This is so as it is neither stolen by any one, nor can be divided in a family, nor can be taxed by the state. Actually this is the only type of money- that multiplies when distributed (teaching something helps the knowledge of the teacher).
विद्यार्थी के गुण, Characteristics of a student! Vidyarthi ke gun
काक चेष्टा, बको ध्यानं,
स्वान निद्रा तथैव च ।
अल्पहारी, गृहत्यागी,
विद्यार्थी पंच लक्षणं ।।
Kak chesta bako dhyanam!
Kaak cheshta bako dhyanam,
Swan nindra tathaiwa cha
Alpahari,Grihtyaagi,
Vidyarthi panch lakshnam.
Also see this
संस्कृत के श्लोक
http://champawatsechennaitak.blogspot.in/2009/07/blog-post_696.html[Searches may include Kag chestha bago dianam, vidhyarthi panch lakshnam, laksnam
Vidyarthi ke gun, Vidhyarthi ke Gun, AAdarsh viddyarthi, Adarsh Chhatr]
Efforts should be similar to a crow, (Repetitive, remember story of a crow trying to drink water from a pot- while placing pieces of stones to raise the water level)
Focus on the work like a crane,
Take alert naps (sleep) similar to that of a dog;
A student should have these characteristics besides
s(he) should eat a bit less and as far as possible, stay away from the sweet home (say in a hostel)!
-In addition, there is one more motivating poem:
-बचपन की सुनी ए़क और चौपाई:
bachcho padhna hai sukhdayee
mile isee se tumhen badhaai
pahle thoda kasht utho,
fir sab din aanad uthao.
बच्चो पढ़ना है सुखदायी , मिले इसी से तुम्हें बढ़ाई।
पहले थोड़ा कष्ट उठाओ, फ़िर सब दिन आनंद उठाओ।
Children, studies will bring happiness.
During studies you undergo hard work-
but later you enjoy -always.
शनिवार, जुलाई 04, 2009
गेलकी भी गिर जाए तो गिरने दो! Gelki bhi gir jay to girne do
बचपन की ढेर सारी वो कहानियाँ जिनसे ऐसा लगता है कि में प्रभावित हुआ, उनमें से कई सारी माँ ने दाल-भात के पकने के लिए इंतजार करते समय (अक्सर कच्ची या भीगी हुई लकडिया खाना पकाना दूभर कर देती थी) कई-कई बार सुनाई थी। पेश है उनमें से ए़क:
हमारे नाना जी टनकपुर में उचौली गोठ ( Ucholigoath) में रहते थे। बात उन्ही दिनों कि है जब जिम कार्बेट (Jim Corbette) कुमाऊ नरभक्षियों (Man eaters of Kumaun) का शिकार कर रहे थे। आम लोगो को भी कभी कभार जंगली शिकार हाथ लग जाता. ए़क बार ऐसे ही कहीं शिकार भात खा रहे थे कि ए़क बाबाजी आ गए। 'नमो नारायण बाबा जी' कहने के बाद नाना जी ने उन्हें भात खाने के लिए आमन्त्रित किया। बाबा जी कुछ सब्जी के साथ भात खाने लगे, किंतु बाकि लोगों को शिकार देखकर उनका मन ललचा गया।
मनः स्थिति भांप कर नाना जी ने बाबा जी से पूछा : "आप भी लेंगे क्या?"
बाबाजी बोले: "अच्छा थोड़ा रस-रस छोड़ दो "
नानाजी ने करछी से सावधानी पूर्वक रस देने की कोशिश करी।
बाबाजी ने कहा : " बेटा गेलकी भी गिर जाए तो गिरने दो"
नानाजी ने कुछ बाबाजी की थाली में टुकड़े भी डाल दिए। बाबाजी ने खूब चाव से खाया और विदा ली।
-प्रेम, जुलाई ४, 2009
हमारे नाना जी टनकपुर में उचौली गोठ ( Ucholigoath) में रहते थे। बात उन्ही दिनों कि है जब जिम कार्बेट (Jim Corbette) कुमाऊ नरभक्षियों (Man eaters of Kumaun) का शिकार कर रहे थे। आम लोगो को भी कभी कभार जंगली शिकार हाथ लग जाता. ए़क बार ऐसे ही कहीं शिकार भात खा रहे थे कि ए़क बाबाजी आ गए। 'नमो नारायण बाबा जी' कहने के बाद नाना जी ने उन्हें भात खाने के लिए आमन्त्रित किया। बाबा जी कुछ सब्जी के साथ भात खाने लगे, किंतु बाकि लोगों को शिकार देखकर उनका मन ललचा गया।
मनः स्थिति भांप कर नाना जी ने बाबा जी से पूछा : "आप भी लेंगे क्या?"
बाबाजी बोले: "अच्छा थोड़ा रस-रस छोड़ दो "
नानाजी ने करछी से सावधानी पूर्वक रस देने की कोशिश करी।
बाबाजी ने कहा : " बेटा गेलकी भी गिर जाए तो गिरने दो"
नानाजी ने कुछ बाबाजी की थाली में टुकड़े भी डाल दिए। बाबाजी ने खूब चाव से खाया और विदा ली।
-प्रेम, जुलाई ४, 2009
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