बुधवार, फ़रवरी 24, 2010

शुक्रवार, फ़रवरी 19, 2010

उत्तर भारत एवं दक्षिण भारत की कुछ झलकियाँ

१. ये फोटो चम्पावत से :
(चंद राजाओं के ज़माने का : करीब 1600- 1700 इसवी )



२. और ये दोनों त्रिची के NAJDIK तन्ज्वूर मंदिर से (चोलावंश, करीब १००० साल पहले)


गुरुवार, फ़रवरी 18, 2010

Oh ! Nirmal Pandey !

अभी अभी स्टार न्यूज में देखा कि निर्मल पाण्डेय का अचानक हार्ट अटैक से देहांत हो गया है!  मुझे विश्वाश नहीं होता.

Here is another link.
मुझे अभी ब्रुक हिल के 4A /२ में उसकी नुक्कड़ नाटक के लिए देये निर्देश कान में गूँज रहे हैं. बुलंद आवाज, जबरदस्त शारीरिक बनावट, .....

ओह,
शांति, शांति, शांति
 About an year back, his interview in a newspaper:

रविवार, फ़रवरी 07, 2010

prem diwana

ये कविता मेरे ए़क अजीज दोस्त ज़हूर ने उस ज़माने में लिखी थी, जब मेरी शादी होने वाली थी.    पेश है:
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आप से अब दोस्ताना हो गया ,
रोज मिलने का बहाना हो गया.

पहले मिलते थे फकत इतवार को,
अब तो हर दिन आना जाना हो गया.

दो घडी देखूं नहीं तुमको अगर,
यूँ लगे जैसे जमाना हो गया.

देख कर ही उनको भर जाता हैं पेट
उनका आना मेरा खाना हो गया.

हर अदा पे उनकी में लट्टू हुआ
दिल चकरघिन्नी दीवाना हुआ.

वो भी चल निकला हैं अब बाज़ार में,
नोट जो कुछ था पुराना हो गया.

आई हैं गट्ठर के गठ्ठर चिट्ठियां,
घर हमारा डाक -खाना हो गया.

यार अपना फूल कर कुप्पा हुआ,
जो था तम्बू शामियाना ho gaya.

अब तो हमसे उस तरह मिलते नहीं,
आशु औ आलम बेगाना हो गया.

बस सिलिंडर ही सिलिंडर हो जहाँ,
प्रेम तेरा आशियाना हो गया.

                                 ०००  आलम-ए-ज़हूर (१९९३)

(इस सन्दर्भ में ये बताना जरूरी है कि उन दिनों मैंने कुकिंग गैस सिलिंडर से सम्बंधित ए़क -आध कवितायेँ (dekhen april 2009 ki pravistiyan ) लिखी थी.  'असली कविता' वाले मेरे दोस्तों ने   इसे "सिलिंडर शैली" का नाम दिया था.  असर ये, कि ये कविता उसी शैली का ए़क नायाब नमूना है.- प्रेम , फ़रवरी ७, २०१०).