Sachin Tendulkar today hit a double century in one day match against South Africa. This is the first 2ble hundred in One day match.
Congratulations.
Variety of postings in science, culture and myself. Born in Champawat, graduated in Naini Tal and after spending memorable years in Nippon, I am in Chennai. I shunt in between Chennai and Champawat at least once a year. Disclaimer: “The views expressed in this blog are personal and not that of the Institution (Indian Institute of Technology Madras).”
बुधवार, फ़रवरी 24, 2010
शुक्रवार, फ़रवरी 19, 2010
उत्तर भारत एवं दक्षिण भारत की कुछ झलकियाँ
गुरुवार, फ़रवरी 18, 2010
Oh ! Nirmal Pandey !
अभी अभी स्टार न्यूज में देखा कि निर्मल पाण्डेय का अचानक हार्ट अटैक से देहांत हो गया है! मुझे विश्वाश नहीं होता.
Here is another link.
मुझे अभी ब्रुक हिल के 4A /२ में उसकी नुक्कड़ नाटक के लिए देये निर्देश कान में गूँज रहे हैं. बुलंद आवाज, जबरदस्त शारीरिक बनावट, .....
ओह,
शांति, शांति, शांति
About an year back, his interview in a newspaper:
Here is another link.
मुझे अभी ब्रुक हिल के 4A /२ में उसकी नुक्कड़ नाटक के लिए देये निर्देश कान में गूँज रहे हैं. बुलंद आवाज, जबरदस्त शारीरिक बनावट, .....
ओह,
शांति, शांति, शांति
About an year back, his interview in a newspaper:
रविवार, फ़रवरी 07, 2010
prem diwana
ये कविता मेरे ए़क अजीज दोस्त ज़हूर ने उस ज़माने में लिखी थी, जब मेरी शादी होने वाली थी. पेश है:
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आप से अब दोस्ताना हो गया ,
रोज मिलने का बहाना हो गया.
पहले मिलते थे फकत इतवार को,
अब तो हर दिन आना जाना हो गया.
दो घडी देखूं नहीं तुमको अगर,
यूँ लगे जैसे जमाना हो गया.
देख कर ही उनको भर जाता हैं पेट
उनका आना मेरा खाना हो गया.
हर अदा पे उनकी में लट्टू हुआ
दिल चकरघिन्नी दीवाना हुआ.
वो भी चल निकला हैं अब बाज़ार में,
नोट जो कुछ था पुराना हो गया.
आई हैं गट्ठर के गठ्ठर चिट्ठियां,
घर हमारा डाक -खाना हो गया.
यार अपना फूल कर कुप्पा हुआ,
जो था तम्बू शामियाना ho gaya.
अब तो हमसे उस तरह मिलते नहीं,
आशु औ आलम बेगाना हो गया.
बस सिलिंडर ही सिलिंडर हो जहाँ,
प्रेम तेरा आशियाना हो गया.
००० आलम-ए-ज़हूर (१९९३)
(इस सन्दर्भ में ये बताना जरूरी है कि उन दिनों मैंने कुकिंग गैस सिलिंडर से सम्बंधित ए़क -आध कवितायेँ (dekhen april 2009 ki pravistiyan ) लिखी थी. 'असली कविता' वाले मेरे दोस्तों ने इसे "सिलिंडर शैली" का नाम दिया था. असर ये, कि ये कविता उसी शैली का ए़क नायाब नमूना है.- प्रेम , फ़रवरी ७, २०१०).
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आप से अब दोस्ताना हो गया ,
रोज मिलने का बहाना हो गया.
पहले मिलते थे फकत इतवार को,
अब तो हर दिन आना जाना हो गया.
दो घडी देखूं नहीं तुमको अगर,
यूँ लगे जैसे जमाना हो गया.
देख कर ही उनको भर जाता हैं पेट
उनका आना मेरा खाना हो गया.
हर अदा पे उनकी में लट्टू हुआ
दिल चकरघिन्नी दीवाना हुआ.
वो भी चल निकला हैं अब बाज़ार में,
नोट जो कुछ था पुराना हो गया.
आई हैं गट्ठर के गठ्ठर चिट्ठियां,
घर हमारा डाक -खाना हो गया.
यार अपना फूल कर कुप्पा हुआ,
जो था तम्बू शामियाना ho gaya.
अब तो हमसे उस तरह मिलते नहीं,
आशु औ आलम बेगाना हो गया.
बस सिलिंडर ही सिलिंडर हो जहाँ,
प्रेम तेरा आशियाना हो गया.
००० आलम-ए-ज़हूर (१९९३)
(इस सन्दर्भ में ये बताना जरूरी है कि उन दिनों मैंने कुकिंग गैस सिलिंडर से सम्बंधित ए़क -आध कवितायेँ (dekhen april 2009 ki pravistiyan ) लिखी थी. 'असली कविता' वाले मेरे दोस्तों ने इसे "सिलिंडर शैली" का नाम दिया था. असर ये, कि ये कविता उसी शैली का ए़क नायाब नमूना है.- प्रेम , फ़रवरी ७, २०१०).
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