This poem is written by my son Anupam as part of his home work of the school:
A soldier
A tough life he has,
Very disciplined he is,
Has a strong and a healthy body
And is very faithful to the country.
He leaves his family alone,
Goes to fight in wars at borders.
With guns and bombs
While remembering his family
When he comes home,
After winning the war,
He bring's a lot of gifts for his family.
His family and the nation are proud of him.
He spends precious time with his family
And then ,when his leave is over,
He is ready to
Serve the country, once again.
-Anupam bisht
Variety of postings in science, culture and myself. Born in Champawat, graduated in Naini Tal and after spending memorable years in Nippon, I am in Chennai. I shunt in between Chennai and Champawat at least once a year. Disclaimer: “The views expressed in this blog are personal and not that of the Institution (Indian Institute of Technology Madras).”
रविवार, जून 21, 2009
रविवार, जून 14, 2009
मेरे गाँव के लोग, About Champawat visit 2009
मैं अक्सर (हर साल) अपने गाँव जाता हूँ। वहां जब समय मिलता है तो अपने बचपन के उन साथियों से बातचीत करता हूँ जो लोग जिंदगी की इस भागम भाग में गाँव से नहीं निकल पाए। कुछ लोग दिल्ली तक आए और थोड़ा बहुत सीख कर वापस गाँव चले गए। सोचा वहां कम निकल जाएगा क्योंकि कुछ रहने के लिए तो है। आ़ज की स्थिति ये है कि बहुत से लोग उन्ही पुराने स्टाइल से खेती बारी करते हैं, थोड़ा बहुत मिलता है खेती बारी से। कुछ दो-
एक साल पहले जब मैं ऐसे ही बात कर रहा था तो ए़क साथी ने ये बताया कि गाँव में ये प्रचलित है:"गाँव के जो लोग भौते अडवांस थे वे विदेश चले गए।
जो उन से कुछ कम थे, वे देस (दिल्ली- मुंबई ) चले गए।
जो उन से कुछ कम थे, वे बाजार बस गए।
और जो कुछ न कर पाए, वो गाँव में ही रह गए।"
लेकिन अभी में कुछ दिन पहले ही गाँव से लौटा हूँ। आज का माहोल बिल्कुल नया। आप नलों में पानी देखेंगे। आप जंगल जाती महिलाओं के मुख से वोडाफोन के रेचार्जे के बारे में सुनेगे। गाँव में ही रेचार्जे करने वाला आदमी रोज बाजार जाता है। वो उस्सी समय कर देगा। स्काई- डिश टीवी के एंटिना बहुतायत में दिखेंगे। पानी का सबसे ज्यादा इस्तेमाल नहाने -धोने- व टॉयलेट में होता है। शुद्ध हवा, मुफ्त का घर, पास पड़ोस, तीज त्यौहार , बढ़िया मौसम, और क्या चाहिए?
ये सब काफी संतुष्टि देता है।
शेष फ़िर।
१५.०६.०९
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